राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अगले ही दिन केंद्र सरकार ने एक संशोधित हलफनामा फिर से कोर्ट को सौंपा है और उसकी कॉपी सभी याचिकाकर्ताओं को दी है। फैसले के बाद जब केंद्र सरकार पर ये आरोप लगने लगे कि उसने सुप्रीम कोर्ट को गलत जानकारी दी है तो सरकार की तरफ से अगले ही दिन उसमें सुधार के लिए कोर्ट में हलफनामा सौंपा गया। हलफनामे में कहा गया है कि पहले सौंपे गए एफिडेविट में टाइपिंग में गलती हुई थी, जिसकी कोर्ट ने गलत व्याख्या की है। सरकार ने नए हलफनामे में साफ किया है कि सीएजी की रिपोर्ट अभी तक पीएसी ने नहीं देखी है। बता दें कि सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राफेल लड़ाकू विमान की कीमत निर्धारण और उससे जुड़े अन्य विवरण की रिपोर्ट नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने लोक लेखा समिति (पीएसी) को सौंपी थी, जिसकी समीक्षा पीएसी द्वारा की गई है। उसकी रिपोर्ट भी बाद में कोर्ट को सौंपी गई है। कांग्रेस ने इसे झूठा करार दिया था। इसके बाद शनिवार ( 15 दिसंबर, 2018) सौंपे गए हलफनामे में सरकार ने कहा है कि उसने केवल रिपोर्ट और रिपोर्ट दर्ज करने की प्रक्रिया का हवाला दिया है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की खंडपीठ ने शुक्रवार (14 दिसंबर) को फ्रांस से 36 लड़ाकू राफेल लड़ाकू विमान खरीद में किसी तरह की जांच से इनकार करते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अरबों डॉलर कीमत के इस रक्षा सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई ठोस कारण नहीं नजर आता है। रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर बनाने पर भी कोर्ट ने कारोबारी पक्षपात के आरोपों को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक जगह सीएजी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा है कि राफेल डील पर सीएजी ने अपनी रिपोर्ट सब्मिट कर दी है जिसकी समीक्षा संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) कर चुकी है। कोर्ट की इस फाइंडिंग्स के बाद पीएसी चेयरमैन और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि सीएजी ने पीएसी को कभी रिपोर्ट नहीं सौंपी। सरकार सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोल रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर कहा कि मोदी सरकार राफेल डील पर झूठ बोल रही है और जब कभी इसकी जांच होगी तो उनके और अनिल अंबानी के नाम सामने आएंगे। सीएजी रिपोर्ट पर चौतरफा घिरने के बाद सरकार की तरफ से कोर्ट में संशोधित हलफनामा दायर किया गया।
हालांकि, कोर्ट ने राफेल खरीद मामले में भ्रष्टाचार हुआ या नहीं, इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। कोर्ट ने सिर्फ तीन पहलुओं पर सुनवाई की और मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं को एकसाथ खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में रक्षा खरीद प्रक्रिया पर कहा, “36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद प्रक्रिया 23 सितंबर, 2016 को पूरी हो गई थी। तब किसी भी पक्ष ने उस पर कोई सवाल खड़े नहीं किए। जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का साक्षात्कार छपा तब इस मामले में याचिकाएं डाली गईं जो ओलांद के बयान का लाभ लेने की कोशिश नजर आती है। बीजेपी सोमवार (17 दिसंबर) को देशभर में 70 स्थानों पर कांग्रेस के खिलाफ राफेल मामले में पोल खोल अभियान चलाएगी।
Bharatiya Janata Party (BJP) to hold Press Conferences at 70 locations across the nation on Monday, December 17, to "expose Congress' for plotting conspiracy against Central government and messing with country's defence". #Rafale pic.twitter.com/gGdxvq7PwC
— ANI (@ANI) December 15, 2018
Central Govt has filed an affidavit before the Supreme Court and has served a copy of it to all the petitioners in the #RafaleDeal case. Details awaited pic.twitter.com/n32X5AIaqX
— ANI (@ANI) December 15, 2018