कुतुब मीनार हमारी संस्कृति का सबसे बड़ा उदाहरण है… कि एक स्मारक जो हमारे 27 मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी, आजादी के बाद भी विश्व धरोहर के रूप में इसका जश्न मनाया जाता है। यह शब्द हैं केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के, जिन्होंने शनिवार (31 अगस्त, 2019) शाम दिल्ली में स्मारक की रोशनी का उद्घाटन करने के दौरान यह बात कही।

केंद्रीय मंत्री ने परिसर में मौजूद 24 फीट ऊंचे लोहे के खंभे (लौह स्तंभ) का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘यह स्मारक से सदियों पुराना है और एक नमूना प्रस्तुत करता है कि खुले में अपने अस्तित्व के 1,600 साल बाद भी इसमें जंग नहीं लगा।’ उन्होंने सिफारिश की कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, स्मारक का संरक्षक, स्तंभ के इतिहास और महत्व को ध्यान में रखते हुए एक तख्ती लगाए।

महरौली में कुतुब मीनार बनाने से पहले मुगलों द्वारा ध्वस्त किए गए मंदिरों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘यहां तक ​की जब एएसआई ने कुतुब कॉम्प्लेक्स को अपने कब्जे में ले लिया था, उस समय योगमाया मंदिर अस्तित्व में था। तो विशेष मंदिर को संरक्षण एजेंसी को क्यों नहीं सौंपा गया। शायद इसलिए कि यह दैनिक पूजा का स्थान था।’

कथा के अनुसार योगमाया मंदिर भगवान कृष्ण की बहन को समर्पित है। स्थानीय पुजारियों के मुताबिक यह महमूद गजनी और दूसरे हमलावरों द्वारा तोड़े गए 27 मंदिरों में से एक है और पूर्व-सल्तनत काल से संबंधित एकमात्र मंदिर है जो अभी भी उपयोग में है। हालांकि इसकी मूल (300-200 ईसा पूर्व) वास्तुकला को कभी दोबारा पुराने जैसा नहीं बनाया जा सका, लेकिन इसका पुनर्निर्माण स्थानीय लोगों द्वारा कई बार किया गया।

प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि हाल में दक्षिणी दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी ने उनसे गुजारिश की थी कि आगंतुकों के लिए कुतुब मीनार और मंदिर के बीच ई-रिक्शा सेवाएं शुरू करें। मंत्री ने कहा कि उनका मंत्रालय इसपर विचार करेगा। इस दौरान बिधूड़ी भी केंद्रीय मंत्री के साथ मौजूद थे।