कोरोना की दूसरी लहर के बाद जल्द से जल्द वैक्सिनेशन को ही सुरक्षा का सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है। इसी बीच बड़ी बात सामने आई है। आंकड़ों के मुताबिक देश के 9 बड़े अस्पतालों को ही टीके की 50 फीसदी डोज उपलब्ध करवाई गई। यह मई का डेटा है। जब से सरकार ने वैक्सीन को ओपन मार्केट में ले जाने का फैसला किया है, कुल 1.20 करोड़ डोज प्राइवेट अस्पतालों को मिली हैं। इनमें से केवल 9 अस्पतालों को 60.57 डोज वैक्सीन दी गई।
बाकी 50 फीसदी वैक्सीन डोज भी शहरी क्षेत्रों में स्थित प्राइवेट अस्पतालों को दी गई। ये 300 अस्पताल किसी न किसी बड़े शहर में ही स्थित हैं। बता दें कि 1 मई से सरकार ने नीति में परिवर्तन किया है। अब सरकार ने वैक्सीन निर्माता से सीधे टीका खरीदने की छूट दी है। प्राइवेट प्लेयर वैक्सीन निर्माता से कुल उत्पादन का 50 फीसदी ख़रीद सकते हैं।
मई के महीने में प्राइवेट अस्पतालों ने वैक्सीन के कुल उत्पादन का 15.6 प्रतिशत खरीदा। यानी कुल उत्पादन 7.94 करोड़ डोज का हुआ था जिसमें से 120 करोड़ डोज प्राइवेट अस्पतालों ने खरीदे। वहीं राज्यों ने 22.66 करोड़ और केंद्र ने 4.09 करोड़ डोज लिए।
जिन नौ अस्पतालों ने इस कैटिगरी की 50 फीसदी कोवैक्सीन और कोविशील्ड खरीदी हैं उनमें अपोलो हॉस्पिटल, मैक्स हेल्थकेयर, रिलायंस फाउंडेशन की तरफ से संचालित एचएन हॉस्पिटल ट्रस्ट, मेडिका हॉस्पिटल, फोर्टिस हेल्थकेयर, गोदरेज, मणिपाल हेल्थ, नारायणा हृदायलया और केक्नो इंडिया शामिल हैं।
ये अस्पताल ज्यादातर महानगरों और टायर- 1 शहरों में हैं। इन प्राइवेट अस्पतालों को कोविशील्ड 600 रुपये डोज और कोवैक्सीन 1200 रुपये प्रति डोज के हिसाब से मिलती है। एक जानकार ने कहा कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां भी उन्हीं प्राइवेट प्लेयर्स को प्राथमिकता देती हैं जो समय पर और ज्यादा कीमत दे सकें। अस्पताल लोगों से कोवीशील्ड के लिए 850 से 1000 रुपये और कोवैक्सीन के लिए 1250 रुपये लेते हैं।
कई छोटे शहरों के अस्पतालों ने वैक्सीन के बंटवारे में हो रहे भेदभाव की शिकायत भी की है। मुंबई के हिंदूसभा हॉस्पिटल के डायरेक्टर ने कहा, ‘हमने 30 हजार डोज का ऑर्डर दिया था। हमें केवल 3 हजार डोज मिलीं। बड़े अस्पतालों के पास अच्छे रिसोर्स हैं और वे वैक्सीन निर्माताओं से अच्छी डील कर लेते हैं इसलिए हमें पर्याप्त डोज नहीं मिल पातीं।’