भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बीच कोरोना वैक्सीन की कमियों का मुद्दा भी जोर पकड़ चुका है। दरअसल, देश में सिर्फ दो वैक्सीन मौजूद होने और उनकी भी किल्लत पैदा होने को लेकर विपक्षी दल सरकार को घेर चुके हैं। अब भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सिन के उत्पादन और उनके बंटवारे को लेकर भी डेटा में कुछ चूक सामने आई हैं।
दरअसल, कंपनी और केंद्र की तरफ से बयान के मुताबिक, अब तक भारत में कोवैक्सिन की 6 करोड़ डोज उपलब्ध होनी चाहिए थीं। लेकिन आधिकारिक डेटा के मुताबिक, अब तक इस वैक्सीन की 2.1 करोड़ डोज ही लोगों को दी गई हैं। ऐसे में लगभग दो-तिहाई वैक्सीन का ब्योरा न मिलने पर सवाल खड़े हो गए हैं।
इस मुद्दे पर विवाद उठने के बाद हैदराबाद आधारित भारत बायोटेक ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। कंपनी के सीएमडी कृष्णा एल्ला ने 20 अप्रैल को रिकॉर्ड पर कहा था कि मार्च में देश में कोवैक्सिन की 1.5 करोड़ डोज तैयार हुईं। वहीं अप्रैल के अंत तक कंपनी 2 करोड़ अतिरिक्त डोज तैयार कर लेगी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि मई में कंपनी का उत्पादन 3 करोड़ डोज का होगा। अगर मान लिया जाए कि कुछ कारणों से वैक्सीन का उत्पादन पहले की दर पर नहीं हो पाया और कंपनी अप्रैल के ही रिकॉर्ड को दोहराते हुए 2 करोड़ डोज बना पाई, तो भी अब तक लगभग 5.5 करोड़ डोजों का बंटवारा हो जाना था।
गौरतलब है कि कृष्णा एल्ला ने इससे पहले टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने से पहले 5 जनवरी को कहा था कि भारत बायोटेक ने वैक्सीन की दो करोड़ डोज इकट्ठा कर ली हैं। इसके अलावा जनवरी और फरवरी में भी कंपनी ने धीमी गति में वैक्सीन का निर्माण किया। इन सब आंकड़ों को लेते हुए अब तक भारत बायोटेक की ओर से उत्पादन का आंकड़ा 8 करोड़ वैक्सीन डोज तक पहुंचता है।
विदेश भेजने के बावजूद भी भारत में मौजूद होनी चाहिए थीं कोवैक्सिन: भारत ने वैक्सीन का उत्पादन शुरू होने के साथ ही इन्हें विदेश भेजना भी शुरू कर दिया था। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, रोक से पहले तक 6.6 करोड़ वैक्सीन डोज विदेश भेजी गई थीं, लेकिन टीका लेने वाले ज्यादातर देशों को सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड दी गई थी। ऐसे में कोवैक्सिन की अब तक सिर्फ 2.1 करोड़ डोज लगना अपने आप में चौंकाने वाला मुद्दा है।