Delhi High Court News: दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडियन आर्मी के एक ईसाई अधिकारी की बर्खास्तगी को रद्द करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कमांडिंग अधिकारियों को उदाहरण पेश करना चाहिए व धार्मिक प्राथमिकताओं से ऊपर यूनिट सामंजस्य को रखना चाहिए। यह पूरा मामला सैमुअल कमलेसन नाम के एक अफसर से जुड़ा है। उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। कारण यह था कि उन्होंने रेजिमेंट के धार्मिक परेड में शामिल होने से मना कर दिया था।
सैमुअल कमलेसन को 11 मार्च 2017 को इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त किया गया था। उन्हें 3 कैवलरी रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त किया गया था। इस रेजिमेंट में सिख, जाट और राजपूत कर्मियों के तीन स्क्वाड्रन शामिल हैं। उन्हें स्क्वाड्रन बी का ट्रूप लीडर बनाया गया था। इस रेजिमेंट में सिख कर्मी शामिल हैं।
परिसर में कोई भी चर्च नहीं – कमलसेन
कमलसेन का कहना था कि उनकी रेजिमेंट ने अपनी धार्मिक जरूरतों और परेड के लिए सिर्फ एक मंदिर और गुरुद्वारा बनाए रखा है, न कि कोई सर्व धर्म स्थल। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि रेजिमेंट में सर्व धर्म स्थल शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि परिसर में कोई भी चर्च नहीं है। 30 मई के अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि धर्म को किसी वरिष्ठ के वैध आदेश से ऊपर रखना साफ तौर सेअनुशासन का काम है।
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कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच ने बर्खास्तगी को बरकरार रखते हुए अपने आदेश में तर्क दिया, ‘जबकि इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि याचिकाकर्ता को अपने धार्मिक विश्वासों का पालन करने का अधिकार है, हालांकि, साथ ही अपने सैनिकों के कमांडिंग ऑफिसर होने के नाते, उनके पास ज्यादा जिम्मेदारियां भी हैं क्योंकि उन्हें न केवल युद्ध में उनका नेतृत्व करना है, बल्कि सैनिकों के बीच संबंधों को बढ़ावा देना, कर्मियों को प्रेरित करना और उनमें अपनेपन की भावना पैदा करना है। इस मामले में सवाल धार्मिक स्वतंत्रता का बिल्कुल भी नहीं है। यह एक वरिष्ठ के वैध आदेश का पालन करने का सवाल है। मामले में याचिकाकर्ता ने अपने धर्म को अपने वरिष्ठ के वैध आदेश से ऊपर रखा है। यह स्पष्ट रूप से अनुशासनहीनता का काम है।’
कमलसेन को नौकरी से निकालने का फैसला सही
कोर्ट ने कहा कि कमलसेन को कई बार समझाया गया था। लेकिन उन्होंने किसी की बात नहीं मानी। इसके बाद ही उन्हें नौकरी से निकालने का फैसला लिया गया। कोर्ट ने कहा कि यह फैसला सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद लिया गया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि सेना में डिसीप्लीन बहुत ही जरूरी है। अगर अनुशासन नहीं होगा, तो सेना ठीक से काम नहीं कर पाएगी। इसलिए, कमलेसन को नौकरी से निकालने का फैसला सही था। महिला जज को गाली देने वाले वकील की सजा घटाने से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार