पुडुचेरी में पहली बार भाजपा सरकार को हिस्सा बनने जा रही है। विधानसभा चुनाव में उसने छह सीटें जीतकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। तीस सीटों की विधानसभा वाले इस केंद्र शासित प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री एन रंगासामी के नेतृत्व वाले एनआर कांग्रेस ने दस सीटें और उसकी सहयोगी भाजपा ने छह सीटें जीती हैं जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन तीन सीटों पर विजयी रहा है। राजग ने पुडुचेरी में बहुमत के लिए आवश्यक 16 के जादुई आंकड़े को पा लिया। इससे पहले पुडुचेरी की विधानसभा में भाजपा का प्रतिनिधि 1990 में पहुंचा था।
भाजपा के जिन प्रमुख नेताओं ने जीत दर्ज की उनमें पूर्व लोक निर्माण विभाग के मंत्री ए नमासिवायम भी शामिल हैं। भाजपा के नमासवियम अपने द्रमुक प्रतिद्वंद्वी ए कृष्णन को हराकर मन्नाडिपेट विधानसभा सीट से विजयी हुए। वह इसी साल जनवरी में कांग्रेस से भाजपा में आये थे। इसके अलावा कामराज नगर से ए जॉन कुमार, नेल्लिथेपे से उनके पुत्र रिचर्ड्स जॉन कुमार, कालापेट से एआईएनआरसी के पूर्व विधायक पी एम एल कल्याणसुंदरम, मानावेली से ई सेलवम और औसुडू जे सर्वनन कुमार ने भी भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की।
भाजपा को इस चुनाव में उसके अध्यक्ष की हार के रूप में एक झटका भी लगा। प्रदेश अध्यक्ष वी सामीनाथन को लावसपेट से कांग्रेस के उम्मीदवार एम वैथीनाथन के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने यहां की 14 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उनमें से दो ही जीत का स्वाद चख सके। कांग्रेस के सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कषगम को छह सीटों पर जीत मिली।
केंद्र शासित प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है जब छह निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। यहां कुल 33 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 30 विधायक चुनाव के जरिए चुने जाते हैं, जबकि तीन केंद्र द्वारा नामित किए जाते हैं। पिछली बार यानी कि 2016 में केंद्र ने विधायक पद के लिए बीजेपी के सदस्यों को नामित किया था।