प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव के भाजपा के साथ जाने की खबरों के बीच शिवपाल यादव ने समान नागरिक संहिता को लेकर आंदोलन करने का मन बना लिया है। बता दें कि इसकी मांग भाजपा करती आई है लेकिन अब शिवपाल यादव भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं। शिवपाल यादव ने कहा है कि वो समान नागरिक संहिता को लेकर बाबासाहब अंबेडकर और लोहिया के सपनों को पूरा करेंगे।

शिवपाल यादव ने कहा, “कॉमन सिविल कोड को लेकर अंबेडकर जी ने संविधान सभा में आवाज उठाई थी। वहीं राम मनोहर लोहिया ने भी 1967 में इसकी मांग की थी। इसके लिए अब हम समान नागरिक संहिता की आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसके लिए चाहे हमें आंदोलन करना पड़े, कुछ भी करना पड़े। हम लोहिया जी और अंबेडकर जी के जो भी सपने अधूरे थे, उनकी आवाज उठाकर, अपने संगठन को मजबूत करते हुए आगे बढ़ेंगे।”

बता दें कि यह बातें शिवपाल यादव ने अंबेडकर जयंती और राहुल सांकृत्यायन की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित एक सेमिनार में कहीं। शिवपाल यादव की तरफ से आये इस बयान पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राष्ट्रीय दीपक मिश्रा ने कहा कि शिवपाल यादव जल्द ही समान नागरिक संहिता को लागू करने की मांग को लेकर पीएम मोदी, लालकृष्ण आडवाणी और शांता कुमार सिंह मुलाकात करना चाहते हैं।

इस बीच शुक्रवार को शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने अपनी सभी राज्य कार्य समितियों, राष्ट्रीय और राज्य कार्य प्रकोष्ठों और प्रवक्ताओं को भंग कर दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि शिवपाल यादव आने वाले दिनों में बड़ा राजनीतिक फैसला ले सकते हैं।

बता दें कि पिछले कुछ दिनों में शिवपाल और भाजपा के बीच नजदीकियां देखी जा रही हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवपाल भाजपा के साथ आना चाहते हैं। हालांकि इसको लेकर शिवपाल यादव ने अभी साफ तौर पर कोई बयान नहीं दिया है। वहीं अखिलेश यादव ने शिवपाल के भाजपा में जाने को लेकर कहा है कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है लेकिन मैं बधाई देता हूं कि भाजपा परिवारवाद को खत्म कर रही है।

समान नागरिक संहिता: इसके तहत सभी धर्मों के लिए एक ही कानून होगा। अभी देश में सभी धर्मों के लिए अपने कानून हैं। इसके अलावा समान नागरिक संहिता लागू होने से हिंदू और मुस्लिम समाज के लिए एक कानून होगा। जिसमें शादी, तलाक और संपत्तियों से जुड़ी बातें शामिल होंगी। अभी मुस्लिमों के लिए पर्सनल लॉ है और ईसाइयों को अपना पर्सनल लॉ बोर्ड है। समान नागरिक संहिता के प्रभावी होने पर सभी मजहब के लोग एक कानून के दायरे में होंगे।