झारखंड की राजधानी रांची में नुपूर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादित टिप्पणी के विरोध में हो रहा प्रदर्शन हिंसक हो गया। जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन कर रही भीड़ देखते ही देखते हिंसक हो गई। भीड़ ने आगजनी और पथराव किया जिसके बाद हालात काबू में करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। अब तक इस हिंसा में दो लोगों की मौत हुई है। वहीं, स्थानीय प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाके में कर्फ्यू लगा दिया है।
पैगंबर मोहम्मद के बारे में की गई विवादास्पद टिप्पणी के विरोध में उपद्रवियों ने रांची में कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया और सुरक्षाबलों पर पथराव किया। पुलिस ने पथराव करने वाली भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चलाईं। उपद्रवियों द्वारा किए गए पथराव में रांची के एसएसपी सुरेंद्र झा, एक अन्य अधिकारी और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद, जिला प्रशासन ने बाद में मेन रोड क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू कर दी।
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, एसपी रांची (ग्रामीण) नौशाद आलम ने कहा, “राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराए गए 12 लोगों को पथराव और छर्रों के कारण चोटें आई हैं।” रांची में हुई हिंसा के बाद राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान लाए गए घायलों में से दो ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया, रिम्स अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है।
झारखंड पुलिस की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, इस हिंसा की घटना में 11 पुलिसकर्मी और 12 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। उनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और हिंसाग्रस्त इलाके में फोर्स तैनात है।
हिंसा की घटना पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चिंता व्यक्त की और लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की। सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि यह हिंसा की घटना बहुत चिंताजनक है लेकिन वे लोगों से शांति बनाये रखने की अपील करते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग हिंसा में शामिल हैं उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।

कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन: पैगंबर मोहम्मद पर नुपूर शर्मा की टिप्पणी के विरोध में जुमे की नमाज के बाद देश के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुआ। रांची, प्रयागराज, सहारनपुर, मुरादाबाद, मुंबई और दिल्ली में निलंबित भाजपा नेता की टिप्पणी के विरोध में प्रदर्शन हुए। प्रयागराज में भीड़ देखते ही देखते हिंसक हो गई और पुलिसकर्मियों पर पथराव करने लगी, पथराव करने वालों में 10-12 साल के बच्चे बड़ी संख्या में शामिल थे।