जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने दावा किया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने सरकार की अवैध जमीन पर कब्जे किए और उस पर अपना आवास और दफ्तर खड़े करवाए। प्रशासन ने जांच के आधार पर कहा है कि रोशनी ऐक्ट के तहत अवैध तरह से फायदा पाने वालों में फारूक अब्दुल्ला की बहन सुरैया मट्टू, जम्मू-श्रीनगर में स्थित नेशनल कॉन्फ्रेंस के दफ्तर और एक समय कांग्रेस के मालिकाना हक वाला एक ट्रस्ट भी शामिल है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन की जांच के मुताबिक, 1998 में अब्दुल्ला परिवार ने जम्मू की बहू तहसील में स्थित सुंजावन गांव में अपना घर बनाने के लिए अलग-अलग जमीन मालिकों से तीन कनाल जमीन खरीदीं। हालांकि, इन तीन कनालों का कब्जा लेने के बजाय, उन्होंने करीब की ही सरकारी भूमि और जंगल के इलाके की सात कनाल के बराबर जमीन कब्जा ली। एक अधिकारी ने बताया कि मौजूदा वैल्यूएशन के मुताबिक, कब्जाई जमीन की कीमत करीब 10 करोड़ रुपए के आसपास है।
बताया गया है कि अब्दुल्ला बाप-बेटे का नाम उन लोगों की लिस्ट में शामिल है, जिन पर ‘रोशनी ऐक्ट के अलावा’ भी जमीन कब्जाने का आरोप है। ये वह जमीन है, जिस पर अब्दुल्ला परिवार का कब्जा तो है, पर इसका राजस्व रिकॉर्ड में कहीं जिक्र नहीं है। इस लिस्ट में व्यापारी मुश्ताक छाया और अशफाक मीर के भी नाम हैं, जिनकी पहचान जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज अली मोहम्मद मीर के बेटे के तौर पर हुई है।
इन आरोपों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मंगलवार को सफाई जारी की। पार्टी ने कहा कि यह खबर बिल्कुल गलत है कि डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला रोशनी ऐक्ट के लाभार्थी रहे हैं और इस तरह की बातें दुर्भावनापूर्ण तरीके से फैलाई जा रही हैं। डॉ. अब्दुल्ला ने श्रीनगर और जम्मू के अपने आवासों के लिए रोशनी स्कीम का फायदा नहीं लिया और इसके उलट सभी दावे झूठे हैं।
क्या है रोशनी ऐक्ट?
जम्मू-कश्मीर स्टेट लैंड (वेस्टिंग ऑफ ओनरशिप टू द ऑक्यूपेंट्स) ऐक्ट, 2001 को रोशनी ऐक्ट के नाम से भी जाना जाता है। कहा जा रहा है कि कई प्रभावशाली राजनेताओं, कारोबारियों, नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों को इस कानून के तहत जमीन आवंटित कर फायदा पहुंचाया गया। रोशनी ऐक्ट के तहत 20 लाख 60 हज़ार कनाल ज़मीन का आवंटन उनके कब्जाधारियों को किया जाना था. ऐसी योजना थी कि इससे 25 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा और ये रकम जम्मू और कश्मीर के ऊर्जा क्षेत्र में किया जाएगा। इस कानून के तहत कुल 604,602 कनाल जमीन का आवंटन किया गया। इसमें जम्मू में 571,210 कनाल और कश्मीर में 33,392 कनाल जमीन शामिल है।
साल 2014 में आई सीएजी की रिपोर्ट में सामने आया कि 348,160 कनाल जमीन के बदले सरकारी खजाने में केवल 76 करोड़ रुपए ही जमा हुए जबकि ये रकम 317.54 करोड़ रुपए होनी चाहिए थी। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रोशनी ऐक्ट को साल 2018 में खत्म कर दिया था लेकिन हाईकोर्ट ने अक्टूबर में इस कनून को अवैध और असंवैधानिक करार दे दिया।
फारूक अब्दुल्ला की बहन ने भी उठाया फायदा: रोशनी ऐक्ट के अवैध लाभार्थियों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के जम्मू-कश्मीर के दो दफ्तर हैं। लिस्ट के मुताबिक, नेकां के जम्मू स्थित शेर-ए-कश्मीर भवन 3 कनाल और 16 मारला जमीन थी, जिसे ऐक्ट के तहत नियमित किया गया। वहीं श्रीनगर में पार्टी के पास नवई-सुबह ट्रस्ट के नाम पर 3 कनाल और 16 मारला जमीन थी। इसके अलावा ऐक्ट की लाभार्थियों में फारूक अब्दुल्ला की बहन सुरैया मट्टू भी शामिल थीं। उन्हें 3 कनाल और 12 मारला जमीन के लिए 1 करोड़ रुपए सरकार को चुकाने थे, पर प्रशासन के मुताबिक, अब तक कोई भुगतान नहीं किया गया है।
रोशनी ऐक्ट का फायदा पाने वाले दो हजार लोगों की जांच: जम्मू-कश्मीर प्रशासन इस वक्त रोशनी ऐक्ट के तहत फायदा पाने वाले सभी नामों की जांच कर रहा है। अब तक सरकार ने कश्मीर से 167 नाम और जम्मू के 1781 नामों की लिस्ट निकाली है। सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के निर्देश के तहत अन्य लिस्ट भी निकाली जा सकती हैं।