मोदी सरकार देश में आर्थिक विकास दर और निवेश में सुस्ती और बेरोजगारी की बढ़ती दर से दबाव में है। इस चुनौती से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो नई कैबिनेट समितियों का गठन किया है। इनमें से एक समिति निवेश और विकास पर है। जबकि दूसरी समिति रोजगार और कौशल विकास पर है।
हालांकि समिति को लेकर आधिकारिक अधिसूचना का इंतजार है। वहीं सरकार में मौजूद विभिन्न सूत्रों ने इस निर्णय की पुष्टि की है। सूत्रों का कहना है कि मंगवार को मंत्रियों ने बैठक की। बैठक में इन समितियों के गठन और इस एजेंडा पर आगे बढ़ने के संबंध में चर्चा हुई।
सरकार के लिए अर्थव्यवस्था की सुस्ती बड़ी चुनौती है। विशेषकर पिछले वित्तीय वर्ष में सालाना जीडीपी दर अनुमानित 7 फीसदी के मुकाबले गिरकर 6.8 फीसदी पर आ गई। विकास दर हर तिमाही में लगातार घटती रही। आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2018-19 की अंतिम तिमाही में घटकर 5.8 फीसदी पर आ गई।
यह दर पिछले पांच साल में न्यूनतम है। सरकार की तरफ से गठित इन दोनों समितियों के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे। सरकार की तरफ से गठित इस समिति का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में और निवेश में आ रही बाधाओं को दूर करना होगा।
सूत्रों का कहना है कि विकास और निवेश की कैबिनेट समिति में पांच सदस्य होंगे। इन सदस्यों में गृहमंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, रेल मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं। वहीं रोजगार और कौशल विकास पर बनी समिति में 10 सदस्य होंगे।
इसमें गृह मंत्री अमित शाह और निर्मला सीतारमण और रेल मंत्री पीयूष गोयल के अलावा कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री महेंद्र नाथ पांडे, श्रम राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार और शहरी विकास और आवासन मंत्री हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं।
यह समिति कौशल विकास और रोजगार को बढ़ाने के उपाय सुझाएगी। सरकार की तरफ से इन समितियों का गठन ऐसे समय में किया गया है जब धीमी विकास दर का असर रोजगार पर पड़ा है। पीरियॉडिक लेबर फोर्स स्टडी के अनुसार साल 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी हो गई है। यह पिछले 45 साल में सबसे अधिक है।

