मेडिकल और डेंटल कोर्सेज में एडमिशन के लिए एक केन्द्रीय परीक्षा कराए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केन्द्र सरकार ने सहमति जताई थी। जिसके बाद राष्ट्रपति ने स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से कहा है कि वो खुद उनसे मिलकर पूरा मामला समझाएं। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति ने कुछ सवालों पर कानूनी राय भी मांगी है।
शुक्रवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में इस विधेयक को हरी झंडी दी गई थी। इस विधेयक के जरिए सबसे बड़ी अदालत के फैसले को लागू होने से रोका जाएगा जिसमे अदालत ने देश के सभी सरकारी और निजी चिकित्सा कॉलेजों में नेशनल एलिजिबिल्टी कम एंट्रेस टेस्ट यानी NEET के जरिए दाखिले देने के आदेश दिए हैं। हालांकि ये परीक्षा उन सभी के लिए आयोजित होगी, जिन्होंने केन्द्रीय और निजी संस्थानों में मैनेजमेंट कोटा के तहत अप्लाई करेंगे।
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स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सरकार किसी भ्रम में नहीं है। उन्होंने कहा, “NEET को लागू कर दिया गया है, लेकिन राज्य सरकारों के सामने कई विधायी मसले थे।” राज्य सरकारों को तीन दिक्कतें थीं- उनके राज्यों में चल रही परीक्षाएं, सिलेबस में समानता और स्थानीय भाषा में परीक्षा लिखने का विकल्प।
नड्डा ने कहा कि ये सभी दिक्कतें एक सर्वदलीय बैठक में राजनैतिक दलों की ओर से भी बताई गई थीं, उन्हें सुलझाया जा रहा था। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, दोनों ने ये आरोप लगाते हुर सरकार के परीक्षा स्थगित करने के फैसले की निंदा की थी कि निजी मेडिकल कॉलेजों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
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जेपी ने कहा कि NEET का अगला चरण 24 जुलाई को होना है और कार्यक्रम के मुताबिक ही सबकुछ होगा। 1 मई को पहले चरण की परीक्षा में करीब साढ़े छह लाख उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था।