Supreme Court News: केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बांग्लादेश भेजी गई गर्भवती महिला सुनाली खातून और उसके 8 साल के बेटे (साबिर) को मानवीय आधार पर भारत वापस लाने को कहा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने आश्वासन दिया।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, एसजी ने कहा, “मानवीय आधार पर सुनाली खातून और उनके बेटे साबिर को हमारी दलीलों और उन्हें निगरानी में रखने के हमारे अधिकार के प्रति पूर्वाग्रह के बिना प्रक्रिया का पालन करते हुए यहां लाया जाएगा।” बेंच ने आज अपने आदेश में कहा, “सॉलिसिटर जनरल ने सूचित किया कि केवल मानवीय आधार पर, भारत संघ सोनाली खातून को उनके 8 साल के बेटे साबिर के साथ भारत वापस लाने के लिए सहमत हो गया है। चूंकि सोनाली को दिल्ली में हिरासत में लिया गया था, इसलिए सॉलिसिटर जनरल ने सूचित किया कि उन्हें दिल्ली वापस लाया जाएगा।”
बच्चे का सही से रखा जाए ख्याल- सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा, “प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने सुझाव दिया कि उसे बीरभूम जिले में उस शहर में भेजना सही होगा जहां उसके पिता रहते हैं। चीफ मेडिकल ऑफिसर को सोनाली को सभी मेडिकल सुविधाएं देने का निर्देश दिया जाता है। चिकित्सा सुविधाओं का खर्च राज्य सरकार द्वारा फ्री में उठाया जाएगा। चूंकि उनका 8 साल का बच्चा भी उनके साथ है, इसलिए बच्चे की दिन-प्रतिदिन की देखभाल राज्य सरकार द्वारा की जानी चाहिए।” कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को तय की है।
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सुनाली खातून को बांग्लादेश में कर दिया था डिपोर्ट
सुनाली के पिता के अनुसार, उनका परिवार बीस साल से भी ज्यादा समय से दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 26 में दिहाड़ी मजदूरी करता रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि 18 जून को पुलिस ने परिवार के कई सदस्यों को बांग्लादेशी प्रवासी होने के शक में हिरासत में लिया और नौ दिन बाद, 27 जून को उन्हें सीमा पार धकेल दिया। इस कदम से परिवार बिखर गया और हताश हो गया।
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