केरल विधानसभा चुनावों में भाजपा को 3-5 सीटें मिल सकती है। साथ ही पार्टी का वोट शेयर भी 18 प्रतिशत हो सकता है। एशियानेट न्‍यूज के लिए सी-फोर की ओर से किए गए प्री पोल सर्वे में यह संभावना निकलकर आई है। अगर प्री पोल की संभावना को सही माना जाए तो भाजपा पहली बार केरल विधानसभा में अपना खाता खोलेगी। केरल उन राज्‍यों में से एक जहां पर भाजपा का आज तक एक भी विधायक नहीं बना है। 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा तिरुवनंतपुरम सीट जीतते-जीतते रह गई थी। इस सीट पर कांग्रेस के शशि थरूर ने नजदीकी जीत हासिल की थी।

सर्वे में केरल में सत्‍ता परिवर्तन की भविष्‍यवाणी की गई है। इसके तहत वामपंथी दलों के नेतृत्‍व वाला एलडीएफ 77-82 सीटों के साथ सरकार बना सकता है। वहीं सत्‍ताधारी कांग्रेस गठबंधन को 55-60 सीटों के बीच संतोष करना पड़ सकता है। केरल विधानसभा में कुल 140 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए 71 सीटें चाहिए होती है। केरल की वर्तमान सरकार भ्रष्‍टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रही है। सोलर स्‍कैम में मुख्‍यमंत्री ओमान चांडी और उनके परिवार पर भी आरोप हैं। वहीं बार टेंडर स्‍कैम में वरिष्‍ठ नेता केएम मणि का नाम है।

पिछले साल हुए निकाय चुनावों में भी वामपंथी दलों ने भारी जीत दर्ज की थी। यदि कांग्रेस केरल चुनाव हार जाती है तो दक्षिण भारत में केवल कर्नाटक में ही उसकी सरकार रह जाएगी। इस साल केरल, असम और तमिलनाडु में चुनाव होने हैं। इनमें से तमिलनाडु को छोड़कर बाकी दोनों राज्‍यों में कांग्रेस सरकार में हैं। तमिलनाडु में कांग्रेस ने द्रमुक के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।