प्रयागराज में अब तक ना जाने कितने कुंभ मेलों का आयोजन हो चुका। सम्राट हर्षवर्धन के हजारों साल पहले से तीर्थों के इस राजा की धरती पर कई कुंभ आयोजित हुए। लेकिन 2025 में होने जा रहे महाकुंभ ने प्रयागराज की तस्वीर बदल कर रख दी है। इस शहर में हुए बदलाव का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि यदि प्रयाग का कोई बाशिंदा पांच साल बाद अपने नगर वापस आ रहा हो तो वह इस शहर को देख कर अचंभित और स्तब्ध रह जाएगा।
अरैल में 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित किए गए हैं
बड़े-बड़े सुंदर सजे चौराहे, चौड़ी और चमकती हुई सड़कें, रोशनी की जगमग के साथ ही चार पुल, एक अंडर पास, पांच गलियारे, किले और दशअश्वमेध मंदिर के सामने पक्का घाट, यमुना नदी के उस पार अरैल इलाके में भारत के नक्शे पर शिवालय पार्क का निर्माण कराया गया है। अपने नाम के अनुरूप इस पार्क में बारह ज्योतिर्लिंग स्थापित किए गए हैं।
देश के आजाद होने के पहले ‘यूनाइटेड प्राविंस’ की राजधानी रहे इलाहाबाद शहर का नाम योगी आदित्यनाथ की सरकार में बदल कर प्रयागराज किया। नाम बदले जाने के बाद प्रयागराज में यह पहला कुंभ है। यह कुंभ इसलिए भी विशेष है क्योंकि 144 वर्षों के बाद यह बारहवां कुंभ है। इसलिए इसको वेदों में महाकुंभ कहा जाता है।
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प्रयागराज में गंगा के तट पर संगम की ओर जाते समय प्राचीन बांध पर चढ़ना होता है। इस बांध से उतरते ही लेटे हुए हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है। स्थानीय लोग इस प्राचीन मंदिर को बेरोजगारों का मंदिर भी कहते हैं क्योंकि इसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अधिसंख्य छात्र बरसों बरस से आ कर नौकरी लगने की प्रार्थना करते हैं और उनकी प्रार्थना पूर्ण होती है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ कर केंद्र व राज्यों की सत्ता के शिखर पर बैठे राजनेता और नौकरशाहों की लंबी फेहरिस्त है जो अपनी बेरोजगारी और संघर्ष के समय कई मंगलवार और शनिवार को यहां के दर्शन करते आए। यह सिलसिला आज भी कायम है। इस मंदिर से एक गलियारा बनाया गया है जिसे यूपी सरकार ने हनुमान गलियारे का नाम दिया है। हनुमान मंदिर से सरस्वती घाट तक लंबा यह गलियारा किले के किनारे से सरस्वती घाट तक जाता है। जबकि रसूलाबाद घाट से दारगंज तक मरीन ड्राइव बनाया गया है, जो शिवकुटी, बक्शी बांध, नागवासुकी मंदिर के किनारे से होता हुआ काली सड़क तक आता है।
वहीं, भारद्वाज आश्रम को भी बेहद खूबसूरत गलियारे में परिवर्तित कर दिया गया है। कभी अतिक्रमण में उलझे इस इलाके का सौंदर्य अब देखते ही बनता है। जबकि अलोपशंकरी देवी मंदिर का सौंदर्य भी गलियारा बनने के बाद देखते ही बनता है। जगह-जगह हरे भरे वृक्षों का रोपड़, फूलों से सजे गमले तो लगे ही हैं। यूईंग क्रिश्चियन कालेज से लेकर जमुना क्रिश्चियन कालेज के लिए जाने वाली पतली सड़क इतनी चौड़ी कर दी गई है कि अब वहां लोगों को घंटों लगे जाम से मुक्ति मिल गई है।
कुंभ मेले में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। विश्व के किसी भी नगर में इतनी संख्या में लोगों के एकत्र होने की यह अकेली घटना होने जा रही है, जिसका गवाह तीर्थों का राजा प्रयाग बनने जा रहा है। यदि कुंभ के प्रयाग में लगने के इतिहास और उसमें सम्मिलित होने वाले लोगों से संख्या की बात की जाय तो सैकड़ों करोड़ श्रद्धालु अब तक यहां आकर संगम में पांच डुबकियां लगा चुकें। लेकिन कभी 45 करोड़ लोगों को प्रयाग के लोगों ने सवा महीने में नहीं देखा।
जिले में 356 स्थानों को चुना गया है, जहां भीड़ बढ़ने पर लोगों को वहां रोका जा सके। कृत्रिम बुद्धिमत्ता से पूरा श्हर आच्छाादित है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के बेहद पुख्ता इंतजाम हैं। मेला क्षेत्र में ड्रोन प्रतिरोधी टावर लगाए गए हैं। इसलिए बगैर अनुमति के कोई ड्रोन वहां उड़ ही नहीं सकता।