संकट से जूझ रही कांग्रेस को प्रशांत किशोर के रूप में एक नई उम्मीद दिख रही है। आज सुबह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई, जिसमें बड़े नेता शरीक हुए। इस मीटिंग में प्रशांत किशोर भी मौजूद थे। मीटिंग में अंबिका सोनी, मलिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन समेत अन्य बड़े नेता शामिल हुए। माना जा रहा है कि बैठक में प्रशांत किशोर को लेकर चर्चा हुई।
बैठक किस मुद्दे को लेकर थी इसको लेकर पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है। लेकिन माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस में जॉइनिंग को लेकर यह बैठक हुई है। प्रशांत किशोर के कांग्रेस ज्वाइन करने की चर्चा पिछले करीब 1 साल से चल रही है, लेकिन अभी तक प्रशांत किशोर पर पार्टी फैसला नहीं ले पाई है। माना जा रहा है कि जल्द ही प्रशांत किशोर पर पार्टी फैसला लेगी क्योंकि आने वाले समय में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं और पार्टी प्रशांत किशोर का उपयोग उसमें करेगी।
सूत्रों के अनुसार प्रशांत किशोर चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी उन्हें 2024 चुनाव की जिम्मेदारी दें। लेकिन कांग्रेस चाहती है कि प्रशांत किशोर पहले आने वाले राज्यों में विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी संभाले और उसके बाद पार्टी 2024 चुनाव की जिम्मेदारी उन्हें सौंपने पर विचार करेगी। प्रशांत किशोर की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बैठक को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं।
आदित्य सक्सेना नाम के ट्विटर यूजर ने ट्विटर पर लिखा कि, “अभी तक प्रशांत किशोर सिर्फ गांधी फैमिली से मिल रहे थे लेकिन अब पार्टी के दूसरे नेताओं के साथ मीटिंग में बैठे हैं। यानी कांग्रेस में आने का इनका रास्ता साफ हुआ।” वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि, “उम्मीद है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस ज्वाइन करेंगे और इसके बाद 2024 में कुछ उम्मीद जगेगी।”
पिछले महीने संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई, जिससे पार्टी नेतृत्व पर भी सवाल उठने लगे। कपिल सिब्बल ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि गांधी परिवार को पीछे हटना चाहिए। वहीं पंजाब में भी कांग्रेस के नेताओं ने चन्नी को सीएम फेस बनाने के फैसले पर सवाल उठाया। सुनील जाखड़ ने यहां तक कह दिया कि अगर सिद्धू को चेहरा बनाते तो नतीजे कुछ और होते। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और कांग्रेस पार्टी पहले अंदरूनी कलह को खत्म करना चाहती है।