चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को भी Pegasus स्पाइवेयर ने अपना निशाना बनाया था। इस मामले पर एनडीटीवी से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पांच बार मोबाइल हैंडसेट बदला, लेकिन हैकिंग जारी है।
एमनेस्टी फॉरेंसिक एनेलिसिस का दावा है कि पीके के फोन में इन्फेक्शन के निशान 28 अप्रैल को दिखे थे। बंगाल चुनाव के आखिरी राउंड की वोटिंग इसके 24 घंटे बाद होनी थी। उनके फोन की फॉरेसिक जांच कहती है कि पेगासस का असर उनके फोन पर पूरे तौर पर नहीं दिख रहा है, क्योंकि वो इसे तब्दील करते रहते हैं। 2018 में हुए हमले उनके फोन के बैकअप पर दिख रहे हैं। जून और जुलाई के महीने में उनके फोन पर स्पाईवेयर के ट्रेसेस क्रमशः 14 और 12 दिनों तक दिखे।
उधर, पीके की कंपनी आईपैक के हवाले से बताया गया कि कई बार उन्हें भी लगता था कि कोई उनकी निगरानी कर रहा है। लेकिन उन्हें ये अंदेशा नहीं था कि फोन इतने लंबे समय तक हैक किया जा रहा था। कंपनी का कहना है कि तमिलनाडु चुनाव से जुड़ा उनका प्लान कई बार लीक हुआ तो लैपटॉप और वाट्सएप का इस्तेमाल बंद कर दिया गया। उसके बाद की सारी रणनीति मौखिक बातचीत के जरिए तय की गई।
प्रशांत किशोर ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के प्रचार में बड़ी भूमिका निभाई थी, जिसके बाद भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आई थी। इसके बाद से भाजपा की कई विरोधी पार्टियों ने उनसे संपर्क किया और प्रशांत किशोर ने उन पार्टी के लिए काम भी किया। हाल ही में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में एमके स्टालिन की जीत का भी श्रेय उन्हें दिया गया।
राहुल गांधी, PK समेत दो केंद्रीय मंत्री भी पेगासस के निशाने पर
द वायर की रिपोर्ट में फोरेंसिक विश्लेषण के हवाले से लिखा गया है कि प्रशांत किशोर के फोन से हालही 14 जुलाई को छेड़छाड़ की गई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि 300 भारतीय नंबरों की हैकिंग लिस्ट मिली है, जिन्हें निशाना बनाया गया। पीके के फोन पर 2018 से साइबर हमले हो रहे थे। हालांकि, उनका खुद का कहना है कि जासूसी का अंदेशा उन्हें हो रहा था पर हैकिंग का नहीं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और दूसरे केंद्रीय मंत्री प्रह्ललाद पटेल का नंबर भी उस हैकिंग लिस्ट में शामिल था। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2018-2019 के बीच इन नंबरों को निशाना बनाया गया था। हालांकि, इस मामले पर सरकार की ओर से भी सफाई आई थी. सरकार ने हैकिंग में शामिल होने से साफ इनकार किया है।