2014 के लोकसभा चुनाव में अपने बेहतर चुनावी रणनीतिक प्रबंधन के जरिये भारतीय जनता पार्टी (BJP) को बंपर जीत दिलने वाले राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर I-PAC में कुछ भी नहीं हैं। प्रशांत किशोर I-PAC के ना तो मालिक हैं और न ही कर्मचारी हैं। फिर भी हर अहम फैसले पर कंपनी उनकी राय लेती है।
एनडीटीवी से बात करते हुए एक पुराने इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा था कि “I-PAC किसी के भी साथ कभी भी काम कर सकती है। मैं न ही I-PAC का मालिक हूं और न ही शेयर होल्डर। यह युवाओं के लिए एक प्लेटफॉर्म है। जब भी वे किसी का कैम्पेन करते हैं। जहां जरूरत होती है वहां वे मेरी सलाह लेते हैं। अगर उनको लगता है किसी मुद्दे पर मुझे उनकी मदद करनी चाहिए तो मैं कर देता हूं।”
90 फीसद से अधिक सफलता हासिल करने वाले प्रशांत किशोर ने बेहद कम समय में बड़ी कामयाबी का सफर तय किया है। प्रशांत किशोर की हालिया बड़ी सफलता पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की जीत है।
मीडिया रिपोर्ट्स के म्जुताबिक प्रशांत किशोर ने अपने तीन साथियों प्रतीक जैन, ऋषिराज सिंह और विनेश चंदेल के साथ मिलकर वर्ष 2013 में सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गर्वनेंस की स्थापना की थी। इसका नाम बाद में इंडियन पालिटिकल एक्शन कमेटी यानी I-PAC हो गया।
I-PAC ने पहले वर्ष 2014 में बीजेपी में नरेंद्र मोदी के लिए पूरा पालिटिकल कैंपेन संभाला, जिसमें राजनीतिक रणनीति, तकनीक और सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल देश में पहली बार देखा गया। इसी समय प्रशांत किशोर का नाम एक बड़े राजनीतिक रणनीतिकार के तौर पर उभरा। फिर वो मोदी और बीजेपी से अलग हुए। तब उन्हें दूसरी पार्टियों और अन्य राज्यों में काम करने के साथ सफलताएं हासिल करते देखा गया।
बिहार चुनावों में नीतीश कुमार की सफलता, पंजाब में अमरिंदर सिंह की जीत और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद किशोर का कद बहुत बढ़ गया है। उन्होंने आंध्र प्रदेश वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी की जबरदस्तजीत में भी अहम भूमिका निभाई थी।