एनडीटीवी पर इंटरव्यू देते हुए प्रशांत किशोर ने बताया था कि सीएम ममता बनर्जी उनकी क्लाइंट नहीं हैं। वे उन्हीं के लिए काम करते हैं जो उनके साथ काम करना चाहते हैं या वे जिनके साथ काम करने के इच्छुक होते हैं। प्रशांत किशोर ने बताया कि उनके यहां क्लाइंट और वेंडर रिलेशनशिप नहीं होता है।

प्रशांत किशोर ने बताया, ‘ऐसी बात नहीं है कि IPAC को चुनावी अभियान के लिए भुगतान नहीं किया जाता है। रिसर्च करने और सर्वे करने के लिए पैसा तो लगता ही है। लेकिन ऐसा ऑफिस नहीं है कि आप आकर हमको चेक देंगे क्योंकि ऐसा कोई ऑफिस ही नहीं है। कोई हमको हायर नहीं कर सकता है क्योंकि हम हायर होने के लिए उपलब्ध ही नहीं। हम चुनते हैं कि हमें किन के साथ काम करना।’ बता दें कि जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बंगाल चुनाव में उल्लेखनीय सफलता हासिल करने के बाद सबको ये बताकर हैरान कर दिया कि वे अपना काम छोड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने चुनावी रणनीति बनाने के काम को छोड़ दिया है।

किशोर ने एक साक्षात्कार में एनडीटीवी को बताया, “मैं जो कर रहा हूं उसे जारी नहीं रखना चाहता। मैंने काफी कुछ किया है। यह मेरे लिए एक ब्रेक लेने और जीवन में कुछ और करने का समय है। मैं इस स्थान को छोड़ना चाहता हूं।”

यह पूछे जाने पर कि क्या वह राजनीति में फिर से शामिल होंगे? उन्होंने कहा: “मैं एक असफल राजनेता हूं। मुझे वापस जाना होगा और देखना होगा कि मुझे क्या करना है।” हल्के-फुल्के अंदाज में उन्होंने अपने परिवार के साथ असम जाने और ‘चाय की बागवानी’ करने की बात कही। प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि भाजपा बंगाल में दहाई के आंकड़े को पार नहीं कर सकेगी और ऐसा हुआ भी।

मुस्कुराते हुए, प्रशांत किशोर ने कहा कि नतीजे तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में एकतरफा लग रहे हैं लेकिन यह एक कठिन लड़ाई थी। उन्होंने कहा, “हम नरक से गुजरे। चुनाव आयोग ने स्पष्ट रूप से पक्षपात किया और हमारे अभियान को कठिन बना दिया।”

लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा विश्वास था कि तृणमूल बहुत अच्छा करेगी। चुनावी रणनीतिकार ने कहा, “मोदी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) की लोकप्रियता का मतलब यह नहीं है कि भाजपा सभी चुनाव जीतेगी।”