आप के जनलोकपाल विधेयक को जोकपाल बताने वाले प्रशांत भूषण ने जनलोकपाल पर आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को खुली बहस की चुनौती दी है। प्रशांत ने रविवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि आप तर्क पर आधारित बात करने की बजाय बजाए झूठे प्रचार और गलत आरोप लगाने की बेवकूफी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने सोमवार को इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया तो स्वराज अभियान विधानसभा के बाहर विरोध-प्रदर्शन करेगी।

प्रशांत ने कहा,‘हमने आप सरकार की प्रस्तावित दिल्ली जनलोकपाल विधेयक 2015 पर गंभीर सवाल उठाए थे। हमने प्रस्तावित विधेयक का विरोध करते हुए यह दिखाया था कि मूल जनलोकपाल विधेयक (जो कि आप के गठन के कारणों में से एक था)और उत्तराखंड लोकायुक्त अधिनियम की तुलना में यह प्रस्तावित विधेयक एक भद्दा मजाक है।’ उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोकपाल विधेयक पर उठाए गए गंभीर सवालों का जवाब देने बजाया आप झठ पर झूठ बोले जा रही है।

उन्होंने कहा कि झूठे प्रचार और प्रोपेगंडा के मामले में पार्टी इतना गिर चुकी है कि अब पार्टी को एक प्रोपेगंडा मंत्रालय बना लेना चाहिए। उन्होंने मीडिया में आप की ओर से जगह-जगह दिए गए बयानों का हवाला देते हुए कहा कि सभी जगह आप ने कहा है कि यह विधेयक 2014 के (जो आम आदमी पार्टी के पिछले 49 दिन की सरकार के समय पेश किया गया था) के सामान है। यहां तक कि पार्टी ने जारी बयान में यह दावा किया कि प्रस्तुत लोकपाल बिल पहले जैसा हैं, जिसे हम ‘जोकपाल’ कह रहे हैं। वो बिना किसी बदलाव के वही 2014 का विधेयक है।

वहीं आप के नेता शांति भूषण ने जनलोकपाल विधेयक की पहले और अब की एक एक प्रति पेश करते हुए बताया कि किस तरह एक विधेयक दूसरे से बिल्कुल अगल है। उन्होंने कहा कि आप के दावों की कलई इससे खुलती है। इस अवसर पर उन्होंने बिंदुवार दोनों विधेयकों के अंतर का ब्योरा भी दिया। उन्होंने बताया कि जनलोकपाल विधेयक 2014 में प्रावधान हैं कि अध्यक्ष और कम से कम छह अन्य सदस्य जिनकी संख्या आवश्यकता के मुताबिक 10 तक बढ़ाई जा सकती है, का प्रावधान था जबकि 2015 के विधेयक में अध्यक्ष और दो सदस्य का प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि पहले के विधेयक में चयन समिति में सात सदस्य थे, इसमें मुख्यमंत्री, विधानसभा के नेता विपक्ष, हाईकोर्ट के दो जज और जनलोकपाल के पूर्व अध्यक्ष के बीच से एक सदस्य और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायधीश, सेना, नौसेना और वायुसेना के सेवानिवृत्त प्रमुख, भारत सरकार के सेवानिवृत्त मुख्य सचिव प्रमुख सचिव, सेवानिवृत्त कुलपति, सेवानिवृत्त मुख्य चुनाव आयुक्त, कैग, संघ लोक सेवा आयोग के सेवानिवृत्त सदस्यों और भारत सरकार के सेवानिवृत्त सचिवों में से दो सदस्य लिए जाने थे।

वहीं 2015 के विधेयक में चार सदस्यीय समिति है। इसमें मुख्यमंत्री समेत तीन लोग राजनीति से और एक गैर राजनीतिक क्षेत्र से है। उन्होंने कहा कि आप बहस करें। ताकि लोगों को हकीकत पता चले। उन्होंने रविवार को चैलन पर बहस के दौरान तेज आवाज में बात रखने के लिए खेद जातया और कहा कि उन्हें संयमिति भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए।

वहीं स्वराज अभियान के प्रवक्ता अनुपम ने कहा कि केजरीवाल हमेशा कहते रहे कि वे जनलोकपाल के विधेयक का मसौदा तैयार कर रहे हैं, आखिर वे कौन से मसविदे में व्यस्त थे। उन्होंने कहा कि आप का विधेयक उस मूल भावना के खिलाफ है, जिस भावना पर आधारित पार्टी का गठन हुआ है। इसलिए स्वाराज अभियान इसका हमेशा विरोध करेगा।