पुणे पोर्शे दुर्घटना में दो युवकों की मौत का मुद्दा पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या आरोपियों को बचाने का प्रयास किया गया था। एक विधायक का सुबह तीन बजे के बाद पुलिस स्टेशन पहुंचना, आठ घंटे से अधिक समय बाद ब्लड में अल्कोहल की जांच, तथा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा नरमी बरतने के आरोप लग रहे हैं।

दो लोगों की हुई है मौत

पुणे के कल्याणी नगर इलाके में काम करने वाले इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्वनी कोष्टा की रविवार को सुबह करीब 2.30 बजे एक तेज रफ्तार पोर्शे कार से टक्कर हो गई, जिसे कथित तौर पर 17 वर्षीय एक युवक चला रहा था। आरोपी के पिता पुणे में एक प्रमुख रियल एस्टेट बिजनेस में हैं।

घटना के एक घंटे से भी कम समय बाद स्थानीय विधायक सुनील टिंगरे को आरोपी युवक के पिता का फोन आया और वे उस पुलिस स्टेशन पहुंचे जहां उसे ले जाया गया था। सुनील टिंगरे ने कहा कि यह फोन पुलिस पर दबाव बनाने के लिए नहीं था। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “आप मेरे कॉल रिकॉर्ड देख सकते हैं। मैंने आरोपी के खिलाफ मामला कमजोर करने के लिए किसी पुलिस अधिकारी या राजनेता को कोई कॉल नहीं किया है। मेरे राजनीतिक विरोधी मुझे बदनाम करने के लिए झूठी अफवाहें फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।”

सुनील टिंगरे ने बताया कि रविवार को उनके निजी सहायक और उन्हें आरोपी के पिता का सुबह 3.20 बजे फोन आया। विधायक ने कहा, “उन्होंने मुझे बताया कि उनके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है और भीड़ उसे पीट रही है। मैं मौके पर पहुंचा, लेकिन लड़के को पहले ही येरवडा पुलिस स्टेशन ले जाया जा चुका था। मैं वहां गया, लेकिन इंस्पेक्टर वहां मौजूद नहीं था। वह एक घंटे से ज़्यादा समय बाद आया। बाहर बहुत भीड़ मौजूद थी।”

इंस्पेक्टर ने विधायक को दी जानकारी

सुनील टिंगरे ने बताया कि इंस्पेक्टर ने कहा कि लड़का इस दुर्घटना में शामिल था जिसमें दो लोगों की जान चली गई। उन्होंने कहा, “जब उसने मुझे मामले की गंभीरता बताई, तो मैंने उसे कानून के अनुसार काम करने को कहा। जब मैं बाहर आया, तो उसके पिता से मिला और उन्हें दुर्घटना के बारे में बताया। लड़के के पिता को भी पुलिस स्टेशन पहुंचने के बाद मौतों के बारे में पता चला। मैं सुबह करीब 6 बजे वहां से चला गया।”

विधायक ने इस आरोप से भी इनकार किया कि उन्होंने लड़के को पिज्जा और पानी दिया था। उन्होंने कहा, “मैं लड़के से नहीं मिला और न ही मैंने उससे कोई बात की। मैं उसे पिज्जा कैसे दे सकता हूं?”

… तो मैं आरोपी को बचा सकता था

सुनील टिंगरे ने बताया कि पुलिस स्टेशन से निकलने के बाद उन्होंने आरोपी के पिता को फोन किया और शाम को पुलिस अधिकारियों से मिलकर मामले की जानकारी ली। उन्होंने कहा, “उस समय तक मामला पहले ही तय हो चुका था। मेरे द्वारा मामले को प्रभावित करने का सवाल ही कहां उठता है? अगर मेरा ऐसा कोई इरादा होता तो मैं उसे बचा सकता था और उसका नाम सामने नहीं आने देता।”