सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय ने एम्स की ओर से पंजाब में ड्रग्स की समस्या पर तैयार की गई रिपोर्ट को खारिज कर दिया। मंत्रालय ने रिपोर्ट के बारे में कहा कि इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। साथ ही एम्स को दोबारा से पूरे देश का सर्वे करने को कहा गया है। सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्य मंत्री विजय सांपला ने बताया कि मंत्रालय एम्स की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि यह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में पंजाब की तुलना में ज्यादा ड्रग एडिक्ट हैं।
सांपला को दो महीने पहले ही पंजाब भाजपा का अध्यक्ष बनाया था। एम्स की रिपोर्ट को राज्य सरकार ने इसी साल रिलीज किया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि पंजाब में 2.3 लाख (हेरोइन, गांजा, डोडा, फुक्की) पर आश्रित लोग हैं। साथ ही इसके चार गुना लोग एडिक्ट हैं। राज्य में हर साल इनके सेवन पर लगभग 7575 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। सांपला ने बताया, ”पंजाब की जनसंख्या 2.75 करोड़ है और रिपोर्ट के अनुसार इसमें 8 लाख लोग ड्रग यूजर हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो सप्ताह में एक बार शराब पीते हैं। वास्तविक एडिक्ट दो लाख के करीब हैं जो कि राज्य की जनसंख्या के एक प्रतिशत से भी कम है। हम ड्रग मामलों के सर्वे के लिए एम्स को नोडल एजेंसी बनाएंगे।”
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मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस सर्वे में साल भर लगेगा। आखिरी बार इस तरह का काम 15 साल पहले हुआ था। इसमें बताया गया था कि देशभर में 5 लाख लोग नशीले पदार्थ लेते हैं। सांपला ने कहा, ”पंजाब को बदनाम किया जा रहा है। पंजाब में आप रेव पार्टी का नाम कभी नहीं सुनोगे। यह दिल्ली, मुंबई, गोवा और हिमाचल प्रदेश में होती हैं। पंजाब में ऐसा कोई मामला नहीं है। यह सब मीडिया का बनाया हुआ है।”
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वहीं एम्स की ओर से रिपोर्ट तैयार करने वाले डॉक्टर अतुल अंबेडकर ने कहा कि पंजाब के 10 जिलों से 3620 लोगों का डाटा लिया गया। ये सभी वे लोग हैं जो हेरोइन, गांजा, डोडा लेते हैं न कि शराब पीते हैं। उन्होंने बताया, ”हमने पाया कि पंजाब की बड़ी जनसंख्या नशील पदार्थों की एडिक्ट हैं।”
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