Jammu and Kashmir Assembly: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक सुनील शर्मा के बयान को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। इसी बीच गुरुवार को पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ शर्मा के बयान के खिलाफ श्रीनगर में विरोध मार्च निकाला।

इस दौरान पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ़्ती ने कहा कि उन्हें (शहीदों को) देशद्रोही कहना गलत है। भाजपा हमेशा हमारे सामूहिक इतिहास, हमारी सामूहिक स्मृति को मिटाने का प्रयास करती है। यह हमें बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। हम ऐसे सभी प्रयासों को विफल करेंगे। हम चाहते हैं कि सुनील शर्मा जम्मू-कश्मीर के लोगों से माफ़ी मांगें। आप हमें यह नहीं बता सकते कि हमारे नायक कौन हैं।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में क्यों हुआ था हंगामा

विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक सुनील शर्मा के बयान के बाद जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में बुधवार को जबरदस्त हंगामा हुआ था। विधानसभा में बहस के दौरान नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कई निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी के विधायक सुनील शर्मा की एक टिप्पणी का जोरदार विरोध किया था। बात इस कदर बिगड़ गई कि बीजेपी विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।

बीजेपी विधायक सुनील शर्मा ने बुधवार को 13 जुलाई, 1931 को मारे गए लोगों (शहीदों) को लेकर टिप्पणी की थी। जिसके बाद हंगामा मच गया था। स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने जब सुनील शर्मा के द्वारा इस दिन मारे गए लोगों को लेकर की गई इस टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटाने की घोषणा की तो बीजेपी के विधायकों ने इसका जबरदस्त विरोध किया और सभी 28 विधायक सदन से बाहर चले गए।

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बता दें,उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान पीडीपी के विधायक वहीद-उर-रहमान पारा ने कश्मीर में महाराजा हरि सिंह की सेना के द्वारा मारे गए लोगों की याद में 13 जुलाई को और नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती पर 5 दिसंबर को सार्वजनिक छुट्टी को बहाल करने की मांग की। पीडीपी विधायक की इस मांग के जवाब में बीजेपी विधायक सुनील शर्मा ने 13 जुलाई, 1931 को मारे गए लोगों को लेकर एक टिप्पणी की और इसके बाद सदन का माहौल बेहद गर्म हो गया।

दोनों छुट्टियों को कर दिया गया था रद्द

अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन ने इन दोनों छुट्टियों को रद्द कर दिया था। प्रशासन ने इनकी जगह 23 सितंबर (महाराजा हरि सिंह की जयंती) और 26 अक्टूबर (महाराजा ने 1947 में भारत के साथ विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे) के दिन छुट्टी घोषित की थी।

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