साल 2025 की शुरुआत के साथ ही देश की राजनीति में ही काफी कुछ बदलता नजर आ रहा है। एक तरफ जहां प्रियंका गांडी ने वायनाड से जीत के साथ राजनीति में सीधी एंट्री ले ली है वहीं, RSS और BJP के संबंधों में भी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। आइये देखते हैं 2025 में देश में किन बड़ी राजनीतिक घटनाओं पर रहेगी नजर और क्या होंगे बड़े बदलाव।

महिला मतदाताओं पर नजर

इस सूची में सबसे ऊपर महिलाएं हैं जो एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा हैं । महिलाएं एक वोट बैंक बन गई हैं, जिन्हें कोई भी पार्टी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती और यह बात महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों और उससे पहले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में स्पष्ट रूप से देखी गई। राजनीतिक दल महिलाओं को लाभार्थी के रूप में देखते हैं लेकिन इसकी भी अपनी सीमाएं हैं।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ने सत्ता में आने पर महिलाओं को मासिक भत्ता देने का वादा किया है। आप ने महिला सम्मान योजना के तहत 2100 रुपये और कांग्रेस ने प्यारी दीदी योजना के तहत 2500 रुपये देने का वादा किया है।

किस तरफ जाएंगे संघ-भाजपा संबंध?

आरएसएस के शताब्दी समारोह के शुरू होने और बड़े हिंदुत्व परिवार में सत्ता के खेल के भाजपा-आरएसएस एजेंडे को फिर से स्थापित करने के साथ ही ‘एस (संघ)’ कारक को बड़ी दिलचस्पी से देखा जाएगा।

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संघ और भाजपा के बीच संबंधों में 2025 में फिर से बदलाव की संभावना है क्योंकि उन्हें नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। संघ की व्यक्तिवाद के बारे में जो भी आपत्ति हो जो मोदी को मिलने वाले समर्थन का संकेत है लेकिन वह यह सुनिश्चित करना चाहेगा कि भाजपा में व्यक्ति-केंद्रित राजनीति अब और विकसित न हो और पार्टी सामूहिक नेतृत्व की ओर वापस लौट जाए। अगले भाजपा अध्यक्ष का चयन यह संकेत देगा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने संघ की कितनी चिंताओं को ध्यान में रखा है।

मोहन भागवत के हाल ही में दिए गए बयान ने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया कि अब समय आ गया है कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर की तलाश बंद कर दी जाए। ऐसा लग रहा था कि सरसंघचालक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक संकेत दे रहे हैं।

दलित वोटर्स पर रहेगी पार्टियों की नजर

दलित अलग-अलग समय पर अलग-अलग पार्टियों का स्थापित वोट बैंक रहे हैं। हाल ही में शीतकालीन सत्र के दौरान अंबेडकर को लेकर संसद में भाजपा और कांग्रेस के सांसदों के बीच हाथापाई भी हुई। मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी दोनों से इस साल दलितों का दिल जीतने के लिए अपनी रणनीति को और तेज करने की उम्मीद की जा रही है।

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कितनी असरदार रहेंगी प्रियंका गांधी?

हालांकि इस बारे में बात करना जल्दबाजी होगी लेकिन 2025 में भी “पी या प्रियंका” फैक्टर काम करेगा। क्या मोदी के साथ आमना-सामना होगा? संसद में उनके पहले भाषण और लोगों का ध्यान खींचने की उनकी क्षमता को देखते हुए, बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कांग्रेस नेतृत्व उन्हें क्या भूमिका सौंपता है। प्रियंका की क्षमता को देखते हुए भाजपा ने पहले ही पलटवार शुरू कर दिया है। वायनाड से उनकी उम्मीदवार नव्या हरिदास ने प्रियंका के चुनाव को चुनौती देते हुए चुनाव याचिका दायर की है और इस मामले पर जनवरी में सुनवाई होने की संभावना है।

किस दिशा में जाएगी क्षेत्रीय दलों की राजनीति?

क्या यह क्षेत्रीय दलों का साल होगा या फिर R फैक्टर का? बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि केजरीवाल दिल्ली चुनाव में कैसा प्रदर्शन करते हैं और नीतीश क्या फैसला लेते हैं।चौथा कार्यकाल केजरीवाल को नेशनल लेवल पर उभार देगा जिसे आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही उन्हें हारना चाहते हैं और दोनों ही उन्हें दुश्मन नंबर एक के रूप में देखते हैं। उनकी जीत ममता बनर्जी के इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व के दावे को बढ़ावा देगी, जिससे कांग्रेस को नुकसान होगा। शरद पवार और लालू प्रसाद ने भी बनर्जी को मुख्य भूमिका में रखने के विचार का स्वागत किया है।  देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग