पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए सीएम ममता बनर्जी के राजनीतिक रणनीतिकार बने प्रशांत किशोर को प्रदेश सरकार ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराएगी। राज्य सचिवालय ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि प्रशांत किशोर को सुरक्षा कवर देने के लिए गृह विभाग ने आधिकारिक औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। किशोर भी सीएम ममता की तरह नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के मुखर आलोचक रहे हैं।
पिछले साल मई में लोकसभा चुनाव के एक महीने बाद ममता बनर्जी ने टीएमसी को पटरी पर लाने के लिए प्रशांत किशोर को अपने राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में चुना था। बता दें कि आम चुनाव में भाजपा ने भारी जीत हासिल की और बंगाल में भी पार्टी को खासा लाभ हुआ। लोकसभा चुनाव में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने यहां 42 में 18 सीटों पर कब्जा कर लिया।
खास बात है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी बंगाल में महज दो सीटें जीत सकी। टीएमसी को इसके बाद निकाय चुनाव में भी खासा नुकसान उठाना पड़ा और सात निगमों में भगवा लहरा गया। हालांकि इनमें से अधिकांश नेता भाजपा में शामिल हो गए थे। इस बीच प्रशांत किशोर ने टीएमसी से जुड़ने के 54 दिनों बाद पिछले साल 29 जुलाई को ‘दीदी को बोलो’ आउटरीच प्रोग्राम शुरू किया गया। महज छह महीने के भीतर टीएमसी ना केवल उन सभी सातों नगरपालिकाओं को फिर से हासिल करने में कामयाब रही, जो भाजपा के पाले में चली गईं, बल्कि पार्टी ने जमीनी स्तर के नेताओं का भी भरोसा जीता।
हालांकि प्रशांत किशोर को सुरक्षा कवर देने पर माकपा विधायक दल के नेता सुजान चक्रवर्ती ने पूछा कि राज्य सरकार के खर्चे पर किशोर को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा क्यों दी जा रही है, जबकि पश्चिम बंगाल के जनजीवन से उनका कोई संबंध ही नहीं है। इसी बीच ऐसी भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि प्रशांत किशोर 2021 के विधानसभा चुनावों के पहले ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
जानना चाहिए कि बीते महीने जेडीयू ने प्रशांत किशोर को उपाध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेडीयू प्रमुख हैं। तब सीएम नीतीश ने उन्हें बाहर का रास्त दिखाते हुए कहा था कि उनके हाल के बयानों से साफ है कि वो पार्टी में नहीं बने रहना चाहते हैं।