प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 अगस्त से पोलैंड और यूक्रेन के दौरे पर रहेंगे। 21 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी की एक दिवसीय पोलैंड यात्रा 1979 में मोरारजी देसाई की यात्रा के बाद 40 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। पूर्व प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने मोराजी देसाई से पहले पोलैंड का दौरा किया था। इसके बाद पीएम मोदी की प्रस्तावित कीव यात्रा (यूक्रेन) उनकी रूस यात्रा के लगभग एक महीने बाद हो रही है। पीएम मोदी की रूस यात्रा पश्चिमी देशों को पसंद नहीं आया था। दिलचस्प बात यह है कि यूक्रेन का दावा है कि उसने कुर्स्क क्षेत्र में एक रणनीतिक रूसी शहर पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। अब दुनिया पूछ रही है कि क्या पीएम मोदी दोनों के बीच युद्धविराम करा पाएंगे?
भारत और पोलैंड के बीच लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार भारत और पोलैंड के बीच लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध और आर्थिक जुड़ाव रहा है। भारतीय राजनीतिक नेतृत्व सितंबर 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत में जर्मन आक्रमण के खिलाफ पोलैंड के संघर्ष का मुखर समर्थक था। राजनयिक संबंध 1954 में स्थापित हुए और 1957 में वारसॉ में भारतीय दूतावास खोला गया। कम्युनिस्ट युग के दौरान द्विपक्षीय संबंध घनिष्ठ और सौहार्दपूर्ण थे। नियमित उच्च-स्तरीय यात्राएं होती थीं, जिसमें 1955 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की यात्रा भी शामिल थी।
अप्रैल 2009 में भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पोलैंड का दौरा किया था। वहीं सितंबर 2010 में पोलिश प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने भारत का दौरा किया। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ रहा है और 2023 में 5.72 बिलियन डॉलर था। पोलैंड को भारत के प्रमुख निर्यात में चाय, कॉफी, मसाले, कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी और उपकरण, ऑटो पार्ट्स और सर्जिकल आइटम शामिल हैं। पोलैंड से भारत के आयात में मशीनरी, प्लास्टिक सामग्री, लौह धातु, मशीन टूल्स और रक्षा वस्तुएं शामिल हैं। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, विप्रो टेक्नोलॉजीज, ज़ेनसार और वीडियोकॉन जैसी भारतीय कंपनियां पहले से ही पोलैंड में परिचालन कर रही हैं। 2019 में सीधी नॉन-स्टॉप उड़ानें भी शुरू हुईं।
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भारत और यूक्रेन के रिश्ते
भारत ने दिसंबर 1991 में यूक्रेन को एक संप्रभु देश के रूप में मान्यता दी। कीव में भारतीय दूतावास मई 1992 में खोला गया, जिसमें एक रक्षा विंग भी शामिल था। यूक्रेन भारत और पाकिस्तान द्वारा द्विपक्षीय शिमला समझौते के आधार पर जम्मू-कश्मीर मुद्दे के समाधान का समर्थन करता है। यूक्रेन संयुक्त राष्ट्र ढांचे में सुधारों का भी समर्थन करता है। दोनों के बीच व्यापार संबंधी कई समझौते हुए हैं। एयरो इंडिया 2021 के दौरान यूक्रेन ने नए हथियारों की बिक्री के साथ-साथ भारतीय सशस्त्र बलों के साथ सेवा में मौजूदा हथियारों के रखरखाव और उसके अपडेशन के लिए भारत के साथ 530 करोड़ के चार समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए।
यूक्रेन और भारत में एक आयोग है जो संयुक्त व्यापार परिषद की बैठकें आयोजित करता है। 2022 में भारत ने यूक्रेन को 743 मिलियन डॉलर का निर्यात किया। मुख्य चीज़ें पेट्रोलियम, पैकेज्ड दवाएं और प्रसारण उपकरण थीं। अन्य वस्तुएं अयस्क और खनिज, तंबाकू उत्पाद, चाय, कॉफी, मसाले, रेशम और जूट थीं। यूक्रेन ने भारत को 1.08 अरब डॉलर का निर्यात किया। मुख्य उत्पाद बीज तेल, नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक, रसायन, और समुद्री और विमान इंजन थे। पिछले 5 वर्षों में यूक्रेन का भारत को निर्यात 14.3 प्रतिशत की वार्षिक दर से धीमा हो गया है।
यूक्रेन ने सस्ता रूसी तेल खरीदकर मुनाफा कमाने के लिए भारत की आलोचना की। उसने कहा, “तटस्थ होने का दिखावा करना रूस का पक्ष लेने के बराबर है।” लेकिन भारत सरकार ने अपनी डी-हाइफ़न नीति पर ज़ोर देते हुए यूक्रेन को आवश्यक दवाओं, आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और स्कूल बसों सहित महत्वपूर्ण मात्रा में मानवीय सहायता प्रदान की है। इस बीच भारत ने पाकिस्तान निर्मित हथियारों और गोला-बारूद को यूक्रेन में ट्रांसफर करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
पीएम मोदी का दौरा महत्वपूर्ण
इन सब के बीच पीएम मोदी की यात्रा उन दोनों देशों के बीच विवाद शांत करने की कोशिश कर सकती है जो वर्तमान में है। पोलैंड और यूक्रेन की यात्रा से पीएम मोदी को बातचीत करने और दूसरी तरफ की गतिशीलता और चिंताओं को समझने में मदद मिलेगी। निस्संदेह शांति तभी आ सकती है जब रूस और यूक्रेन दोनों मेज पर बैठेंगे और भय और आशंकाएं साझा करेंगे।