प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी स्थित गुरुद्वारा रकाबगंज पहुंचे और उन्होंने मत्था टेककर सर्वोच्च बलिदान देने वाले गुरु तेग बहादुर को श्रद्धांजलि अर्पित की। मोदी ने खुद ट्वीट कर यह जानकारी दी।

पीएम के गुरुद्वारे जाने पर पत्रकार रवीश कुमार ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि बंदगी नौटंकी नहीं होती है। बंदगी में सादगी होनी चाहिए। मक़सद नहीं होना चाहिए। गोदी मीडिया हर चीज को नौटंकी बना देता है। एक अच्छे मक़सद से की गई यात्रा को आई टी सेल और गोदी मीडिया ने प्रोपेगैंडा में बदल दिया है। रवीश कुमार की इस पोस्ट पर लोगों ने भी कमेंट्स किए। एक यूजर ने लिखा कि कहते है राजनीति में एकाएक कुछ नहीं होता। मोदी जी की रकाबगंज यात्रा इसी फलसफे से देखनी चाहिए।

गोदी मीडिया तो ऐसे गला फाड़ रहा है, जैसे उनके पास मोदी जी के कार्यक्रम का पूरा चिट्ठा रहता है। एक अन्य यूजर ने लिखा कि योगी आदित्यनाथ नाथ राम के नाम की दुहाई दे रहे है तो ऐसे में साहब ने सोचा क्यों ना एक दौर धार्मिक इमोशनल का भी खेल कर देख लिया जाए क्या फर्क पड़ता है।

इससे पहले रवीश कुमार ने कहा कि मैं मानता हूँ कि यह गुरुद्वारा भारत के लोकतांत्रिक आंदोलनों का मददगार है। लंगर सेवा के ज़रिए ख़ाली पेट किसानों और जवानों को नारे लगाने की ताक़त देता है। उम्मीद है आज प्रधानमंत्री जब गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब जी के आँगन में गए तो भावना सच्ची होगी।

उन्होंने कहा कि पीएम की प्रचार की नीयत नहीं होगी। लेकिन जिस तरह से गोदी मीडिया के पत्रकार दनादन ट्विट कर रहे हैं और इस बात पर ख़ास तौर से ज़ोर दे रहे हैं कि प्रधानमंत्री अचानक और बिना किसी सुरक्षा बंदोबस्त के पहुँचे और किसी को हटाया नहीं गया, लगता है मक़सद यही था। इमेज बनाना।

उन्होंने आगे लिखा कि सरकार किसानों के आंदोलन को इमेज मैनेजमेंट की नज़र से न देखें। एक तरफ़ सरकार के मंत्री बीजेपी के सांसद इन किसानों को नक्सल और खालिस्तानी बताने में लगे हैं दूसरी तरफ़ प्रधानमंत्री गुरुद्वारा रकाबगंज जा रहे हैं। रवीश कुमार ने कहा कि पीएम को यदि सच्चा संदेश देना था तो उसी रास्ते में थोड़ा और आगे बढ़ जाते और सिंघु बार्डर पर जमा किसानों से मिल आते।

लेकिन किसानों की लड़ाई को सरकार कभी भ्रमित लोगों का आंदोलन बताने लगती है तो कभी सिखों का। इस आंदोलन में सिख हैं मगर लड़ाई तो क़ानून की है। मज़हब की नहीं है।