दलित नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अंदर सब कैटेगरी के फैसले को लेकर चिंता जाहिर की है। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने पार्टी के एससी-एसटी सांसदों के 70 सदस्यों वाले डेलिगेशन को आश्वासन दिया कि क्रीमी लेयर को बाहर रखने संबंधी कोर्ट की टिप्पणियों पर किसी भी तरह का कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। बीजेपी के बुलंदशहर के सांसद भोला सिंह ने मीटिंग के बाद इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों के एससी-एसटी कैटेरगी के सदस्य इस डेलिगेशन में शामिल थे।
बीजेपी के सांसद भोला सिंह ने कहा कि एससी-एसटी समुदायों के बीच क्रीमी लेयर के बारे में सुप्रीम कोर्ट के जजों की टिप्पणियों पर अपनी चिंताओं के बारे में प्रधानमंत्री को बताया। उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि सरकार कोई भी कदम नहीं उठाएगी और पीएम ने एक बार फिर से दोहराया कि वह एससी-एसटी कैटेगरी समुदायों के कल्याण के लिए खड़ी है।
जस्टिस बीआर गवई ने क्या कहा था
पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, ‘आज एससी-एसटी सांसदों के डेलिगेशन से मुलाकात की। एससी-एसटी समुदायों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए हमारी प्रतिबद्धता और संकल्प को दोहराया।’ 1 अगस्त को सात जजों की बेंच ने इस बात पर अपना फैसला सुनाया कि क्या राज्य रिजर्वेशन के मकसद से एससी-एसटी कैटेगरी के अंदर सब कैटेगरी कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं। इसमें से छह जज ने इसके पक्ष में अपना मत दिया था।
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि राज्यों को एससी-एसटी के बीच क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति का विकास करना चाहिए। इसमें उन्हें रिजर्वेशन के फायदों से बाहर रखा जा सकता है। उनके इस फैसले का अन्य तीन जजों ने भी समर्थन किया है।
हिमाचल प्रदेश से बीजेपी सांसद सुरेश कुमार कश्यप ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि प्रधानमंत्री के साथ उनकी मीटिंग का एजेंडा ही एक था। उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री से सिर्फ ज्ञापन देने के लिए ही मुलाकात की थी। हालांकि, उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि सरकार इस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि जस्टिस बीआर गवई की यह बस एक टिप्पणी ही थी और सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं थी।
विपक्षी दल फैला रहे अफवाहें
दिल्ली से बीजेपी के सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यह टिप्पणी फैसले का हिस्सा नहीं थी, लेकिन हमारे विरोधी अफवाहें फैला रहे हैं कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकरा क्रीमी लेयर लाना चाहती है। इसी वजह से हमने पीएम मोदी से मुलाकात की है। उन्होंने हमें पूरी तरह से आश्वासन दिया है कि एससी-एसटी के लिए क्रीमी लेयर का कोई सवाल ही नहीं है। बीजेपी हमारी पार्टी के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री सभी लोग इसी बात पर एक मत ही हैं।
मध्य प्रदेश से एसटी नेता और बीजेपी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने भी प्रधानमंत्री के आश्वासन की चर्चा की और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने अपनी राय देते हुए कहा था कि एससी-एसटी में क्रीमी लेयर को दूर करना चाहिए, लेकिन यह कोर्ट के फैसले का भाग नहीं था। सासंदों ने कहा कि जहां तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सवाल है तो यह चर्चा का विषय नहीं है।
लोजपा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असहमति जाहिर की
बीजेपी ने 1 अगस्त के फैसले पर आधिकारिक तौर पर अपना रुख नहीं बताया है। दलित वोट बैंक वाली उसके साथी लोजपा ने फैसले से असहमति जताई है। इतना ही नहीं उसने यह भी कहा कि वह पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। बीजेपी को इस बात का अहसास है कि एससी-एसटी के बीच में उसका जनाधार कम हो रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि हाल के लोकसभा चुनाव में इसका नतीजा देखने को भी मिला है।
भारतीय जनता पार्टी ने इसके लिए विपक्ष को ही जिम्मेदार ठहराया है। विपक्षी दलों ने अपने चुनावी अभियान में कहा था कि बीजेपी संविधान को बदल देगी और एससी-एसटी कैटेगरी के लिए रिजर्वेशन को खत्म कर सकती है। 2019 के लोकसभा इलेक्शन में बीजेपी ने 46 एससी-रिजर्व सीटें जीती थीं। यह इस बार घटकर केवल 30 ही रह गई हैं। 2019 में इसकी एसटी-रिजर्व सीटों की संख्या 31 से घटकर 25 हो गई। कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनावों में एससी-रिजर्व सीटों पर अपना वोट शेयर 2019 के 16.7 फीसदी से बढ़ाकर 20.8 फीसदी कर लिया।