स्वतंत्रता दिवस के भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के पहले पांच सालों के दौरान 13.5 करोड़ लोग गरीब से न्यू मिडिल क्लास में शामिल हुए हैं। फिर वो बोले कि जब गरीबी खत्म होती है तो मिडिल क्लास की पॉवर बढ़ जाती है। उनका कहना था कि गरीबों की खरीद क्षमता बढ़ती है तो मिडिल क्लास के कारोबार में भी बढ़ोतरी होती है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा लगता है कि जिन 13.5 करोड़ लोगों का पीएम ने जिक्र किया वो नीति आयोग की 17 जुलाई को प्रकाशित नेशनल मल्टी डाइमेंशियल पॉवर्टी इंडेक्स रिपोर्ट के हवाले से कही गई है। पहली बार ये रिपोर्ट 2021 में आई थी।
2023 के इंडेक्स में नेशनल हेल्थ फेमिली हेल्थ सर्वे (2019-21) के डाटा का इस्तेमाल किया गया। इसमें चौथे सर्वे के (2015-16) और पांचवे सर्वे (2019-21) के दौरान मल्टी डाइमेंशियल पॉवर्टी में हुए बदलावों को शामिल किया गया है। NHFS की चौथी और पांचवी रिपोर्ट के दौरान मल्टी डाइमेंशियल पूअर का आंकड़ा 25 फीसदी से गिरकर 15 फीसदी तचक पहुंच गया है। इसके मुताबिक 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए।
जानते हैं कि क्या है मल्टी डाइमेंशियल पॉवर्टी इंडेक्स
मल्टी डाइमेंशियल पॉवर्टी तीन चीजों को लेकर चलता है। इसमें स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और जीने का स्तर शामिल होता है। इंडेक्स को बनाते समय वो ही तरीका अमल में लाया जाता है जो ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव, यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम ग्लोबल मल्टी डाइमेंशियल पॉवर्टी को तैयार करने में इस्तेमाल किया जाता है।
लेकिन भारत का मल्टी डाइमेंशियल पॉवर्टी इंडेक्स वैश्विक इंडेक्स से अलग होता है। भारत में 12 चीजों का अध्ययन इसे बनाते समय किया जाता है जबकि वैश्विक इंडेक्स को तैयार करते समय 10 चीजें अमल में लाई जाती हैं। ग्लोबल मल्टी डाइमेंशियल पॉवर्टी इंडेक्स की 2023 की रिपोर्ट कहती है कि 2005-2015 के दौरान 415 मिलियन लोग भारत में गरीबों की फेहरिस्त से बाहर निकले। इसमें भारत में रह रहे गरीबों का अनुपात 16.4 फीसदी है जबकि नीति आयोग इसे 14.96 फीसदी मानता है।
भारत में नहीं है मिडिल क्लास को काउंट करने का आधिकारिक तरीका
खास बात है कि भारत का गरीबी के आंकड़े 2011 के डाटा से लिए गए हैं। इसे अपडेट नहीं किया गया, क्योंकि 2017-18 के दौरान की consumption expenditure survey को सरकार ने खारिज कर दिया था। इसके मुताबिक गांवों में रहने वाले लोगों की खरीद क्षमता घटी है। यानि गरीबी बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ भारत में मिडिल क्लास को काउंट करने का कोई आधिकारिक तरीका नहीं है। ऐसे में ये कहना मुश्किल है कि कौन गरीबी रेखा से बाहर आया और कौन नहीं?