नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली है। उन्होंने लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में कुल 72 मंत्री शामिल हैं। पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में 30 कैबिनेट मंत्री, 36 राज्य मंत्री और 5 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार शामिल हैं। अब कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि राज्य मंत्री और राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार में क्या अंतर होता है और उनकी क्या भूमिका होती है।

आपको सबसे पहले बता दें कि प्रधानमंत्री के बाद कैबिनेट मंत्री का पद आता है और उसके बाद राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का नंबर आता है। तीसरे नंबर पर राज्य मंत्री आते हैं।

राज्य मंत्री की भूमिका क्या होती है?

राज्य मंत्री कैबिनेट मंत्री का सहयोगी होता है। अहम बात ये है कि राज्य मंत्री मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल नहीं होता है। राज्य मंत्री कैबिनेट मंत्री के नेतृत्व में काम करते हैं और अगर कैबिनेट मंत्री अनुपस्थित होता है तो उसकी अनुपस्थिति में मंत्रालय का सारा काम देखते हैं। गौर करने वाली बात यह भी है कि राज्य मंत्री प्रधानमंत्री को नहीं बल्कि कैबिनेट मंत्री को ही रिपोर्ट करते हैं।

राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार कितना होता है पावरफुल?

राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का पद राज्य मंत्री के पद से बड़ा होता है। अहम बात यह है कि राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं और मंत्रालय की सारी जिम्मेदारी इनके पास होती है। राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अपने विभाग के कैबिनेट मंत्री के प्रति उत्तरदाई नहीं होते हैं। हालांकि राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार भी कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं होते हैं। लेकिन अगर जरूरत पड़ती है तो इन्हें भी बैठक के लिए बुलाया जा सकता है।

कैसा है पीएम मोदी का मंत्रिमंडल?

पीएम मोदी का नया मंत्रिमंडल निरंतरता के साथ-साथ सावधानी का भी संकेत देता है। उन्होंने यह दिखाने के लिए अपने कई पुराने और अनुभवी सहयोगियों को बरकरार रखा है कि स्थिति राजनीतिक रूप से स्थिर है और इस पर उनका नियंत्रण है। ऐसा लगता है कि पिछले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री ने गियर बदल लिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सरकार मोदी या भाजपा सरकार नहीं बल्कि एनडीए सरकार है। शुरू से ही एनडीए को प्राथमिकता दी गई।