प्रधानमंत्री मोदी के सलाहकार बनाए गए रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अमित खरे ने नई शिक्षा नीति और नए आईटी नियमों के प्रस्तावों में भी बड़ी भूमिका निभाई थी। वह अब तक कई बड़े मंत्रालयों में अपना योगदान दे चुके हैं। खरे की गिनती कम बोलने वाले लेकिन अपने बॉस के मन की बात को समझने वाले अधिकारियों में होती है।
30 सितंबर को अमित खरे रिटायर हो गए। वह शिक्षा और सूचना-प्रसारण मंत्रालय मंत्रालय में सचिव रह चुके हैं। वह धर्मेंद्र प्रधान और स्मृति ईरानी के साथ काम कर चुके हैं। साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और आईटी नियम (डिजिटल मीडिया के लिए एथिक्स कोड) 2021 में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। अपने बॉस की नजर में अच्छी छवि और कम बोलने, ज्यादा करने की आदत की वजह से उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
झारखंड कैडर से 1985 बैच के आईएएस अधिकारी खरे अगस्त 2008 से अप्रैल 2015 और जून 2018 से रिटायर होने तक बड़े मंत्रालय में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे थे। बीच में वह झारखंड में वित्त और योजना विभाग में प्रधान सचिव औऱ अतिरिक्त मुख्य सचिव भी रहे। खरे दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज से ग्रेजुएट और IIM अहमदाबाद से पोस्ट ग्रैजुएट हैं। उनकी पत्नी निधि खरे भी आईएएस अधिकारी हैं और इस समय उपभोक्ता मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव हैं। उनके दो बच्चे हैं।
शिक्षा मंत्रालय में जॉइंट सेक्रटरी के तौर पर जॉइन करने वाले खरे ने यूपीए- 2 कपिल सिब्बल और पल्लम राजू के साथ काम किया। इसके बाद उन्होंने स्मृति ईरानी के साथ जिम्मेदारी निभाई। इसके बाद कुछ समय तक केमिकल्स ऐंड फर्टिलाइजर्स मिनिस्ट्री में काम करने के बाद वह झारखंड चले गए।
चारा घोटाला सामने लाने में बड़ा हाथ
जब बिहार का बंटवारा नहीं हुआ था और मौजूदा झारखंड भी बिहार के क्षेत्र में ही आता था तब खरे की नियुक्ति पश्चिमी सिंहभूम में जिलाधिकारी के रूप में हुई थी। इसी दौरान पशुपालन विभाग में हुई गड़बड़ियों को लेकर वित्त सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा था। जब चिट्ठी चाईबासा पहुंची तो उस वक्त वहां के डीएम अमित खरे ने जांच करवानी शुरू कर दी। 1996 में उन्होंने पशुपालन कार्यालय में छापा मारा और चल रही गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद कार्यालय सील कर दिया।
बाद में 900 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया। मामले में बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र को सजा हुई। उसी वक्त खरे पहली बार सुर्खियों में आए थे। हालांकि पशुपालन घोटाला सामने आने के बाद उनका ट्रांसफर बिहार के राज्य चर्म उद्योग विकास निगम में कर दिया गया।