पीएम केयर्स फंड की ओर से मराठवाड़ा को मिले 150 में से 113 वेंटिलेटर खराब निकलने पर बांबे हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है। औरंगाबाद बेंच ने कहा कि इससे मरीज की जान खतरे में पड़ सकती थी। मामले में अगली सुनवाई 28 मई को होगी। कोर्ट ने वेंटिलेटर चेक करने के लिए अस्पताल जाने वाले नेताओं को भी फटकार लगाई।
औरंगाबाद बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि पीएम केयर फंड के तहत मराठावाड़ा को भेजे गए 150 में से 113 वेंटिलेटर खराब पाए गए। 37 वेंटिलेटर अभी खोले नहीं गए हैं। ये वेंटिलेटर सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में इस्तेमाल होने थे। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इनके इस्तेमाल से मरीजों के शरीर से ऑक्सिजन की मात्रा कम हो रही थी। मामले में अगली सुनवाई 28 मई को होगी।
कोर्ट ने कहा कि वेंटिलेटर जीवनरक्षक उपकरण हैं और अगर ये ठीक से काम न करें तो मरीज की जान खतरे में जा सकती है। जस्टिस रवींद्र घुगे की बेंच ने केंद्र सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगा कि वे क्या कार्रवाई की योजना बना रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मसला है।
राज्य सरकार की तरफ से चीफ पब्लिक प्रॉसीक्यूटर डीआर काले ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा। उनका कहना था कि पीएम केयर्स फंड की तरफ से 150 वेंटिलेटर औरंगाबाद के सरकारी मेडिकल कॉलेज को भेजे गए थे। ज्योति cnc कंपनी ने इन्हें तैयार किया था। इनमें से 55 वेंटिलेटर हिगौली, उस्मानाबाद, बीड और परभनी जिले में भेजे गए जबकि 41 निजी अस्पतालों को इस शर्त पर दिए गए थे कि वो मरीजों से इसकी फीस नहीं वसूल करेंगे। 17 मशीनें बिलकुल खराब निकलीं वहीं 37 मेडिकल कॉलेज के पास हैं। इन्हें खोला तक नहीं गया।
कोर्ट ने तल्ख रवैया दिखाते हुए टिप्पणी की कि कंपनी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है, इसके बारे में बताया जाए। कोर्ट का कहना था कि ये पब्लिक के पैसे से बनाए गए हैं। कंपनी किसी सूरत में नहीं बचनी चाहिए। कोर्ट ने केंद्र के वकील से पूछा कि वो खराब वेंटिलेटर वापस क्यों नहीं भेज रहे हैं। अगर ये काम नहीं कर रहे तो इनका इस्तेमाल एक बॉक्स की तरह से ही हो सकता है।