भूविज्ञान एक ऐसा वैज्ञानिक विषय है जिसमें पृथ्वी की भीतरी व बाह्य संरचना, संगठन और इतिहास का अध्ययन किया जाता है। इसके अंतर्गत पृथ्वी के संघटक पदार्थों, भूतल पर क्रियाशील प्राकृतिक शक्तियों और उनसे उत्पन्न संरचनाओं, भूपटल की शैलों की संरचना एवं वितरण, पृथ्वी के भू-वैज्ञानिक कालों आदि का अध्ययन शामिल होता है। यह विषय भारत सहित विश्व भर में सैद्धांतिक और अनुप्रयुक्त विषय के तौर पर विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है।

जैसा कि हमने बताया कि यह वो विज्ञान है जिसमें ठोस पृथ्वी का निर्माण करने वाली शैलों और उन प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जिनसे शैलों, भूपर्पटी और स्थलरूपों का विकास होता है। इसके अंतर्गत पृथ्वी संबंधी अनेकानेक विषय आ जाते हैं। जैसे, शिला विज्ञान: आग्नेय, कायांतरित व अवसाद शिला विज्ञान, खनिज शास्त्र, आर्थिक एवं अयस्क भूविज्ञान, भू-भौतिकी, संरचना भूविज्ञान, भूमापन, पेट्रोलियम जियोलाजी, हाइड्रोजियोलाजी माइनिंग इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग जियोलाजी, पर्यावरण जियोलाजी, रिमोट सेंसिंग, ज्योग्राफिकल इंफार्मेशन सिस्टम, समुद्र विज्ञान, जलवायु विज्ञान इत्यादि।

इस विषय की एक बड़ी और खास बात यह भी है कि इसमें विद्यार्थियों को क्षेत्र भ्रमण पर जाना होता है, जिससे कि विद्यार्थी यथार्थ प्रकृति में शिलाओं की संरचना एवं उनकी बनावट को किताबों में लिखी बातों से मिलान करते हैं और प्रकृति से सीधे तौर पर जुड़ जाते हैं और उनको रट्टा भी नहीं लगाना पड़ता। इसलिए विद्यार्थी जियोलाजी को करिअर के लिए चुनना पसंद कर रहे हैं।

भूविज्ञान विषय में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में अलग-अलग प्रकार के पाठ्यक्रम करवाए जाते हैं। भारत में इन पाठ्यक्रमों में मुख्य तौर पर स्नातक स्तर पर बीएससी और स्नातकोत्तर स्तर पर एमएससी, एमटेक सैद्धांतिक व अनुप्रयुक्त (फंडामेंटल व अप्लाइड) जियोलाजी उपलब्ध हैं। इन पाठ्यक्रमों को करने के बाद रोजगार के बहुत अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। भूविज्ञान (जियोलाजी) विषय में खासकर स्नातकोत्तर डिग्री करने के बाद देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में आप भूवैज्ञानिक, जियो-टेक्निकल इंजीनियर, माइनिंग इंजीनियर, हाइड्रोजियोलाजिस्ट, पेट्रोलियम जियोलाजिस्ट आदि पदों पर नियुक्त हो सकते हैं।

इस विषय में पाठ्यक्रम करने के बाद अलग-अलग संस्थाओं और संस्थानों में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। विभिन्न प्रकार के संस्थानों में चयन प्रक्रिया अलग-अलग होती है व चयन करने वाली संस्थाएं भी अलग-अलग हो सकती है। जैसे कि भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और केंद्रीय भू-जल बोर्ड आदि के लिए चयन संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा किया जाता है। ऐसे ही राज्यों में राज्य लोक सेवा आयोग अलग-अलग संस्थाओं व संस्थानों के लिए चयन करते हैं। कुछ संस्थाएं इंजीनियरिंग स्नातक योग्यता परीक्षा (गेट) उत्तीर्ण करने पर सीधे साक्षात्कार के माध्यम से चयन करती हैं। तो कुछ संस्थाएं ऐसी भी हैं जो लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के जरिए स्वयं चयन करती हैं।

इन संस्थानों में मिलेगी नौकरी

तेल एवं पाकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन), वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान (डब्लूआइएचजी), बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान (बीएसआइपी), कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल), नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन लिमिटेड (एनएचपीसी), केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडीएल) और हिंदुस्तान कापर लिमिटेड (एचसीएल) आदि के अलावा विभिन्न राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान जैसे कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी), विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षक के तौर पर भी करिअर के विकल्प को चुन सकते हैं।

इन पदों पर मिलेगी नियुक्ति

स्नातकोत्तर डिग्री करने के बाद देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में आप भूवैज्ञानिक, जियो-टेक्निकल इंजीनियर, खान इंजीनियर, हाइड्रोजियोलाजिस्ट, पेट्रोलियम जियोलाजिस्ट आदि पदों पर नियुक्त हो सकते हैं। यदि बात वेतन की जाए तो जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया में असिस्टेंट जियोलाजिस्ट से लेकर के सीनियर जियोलाजिस्ट तक सालाना औसत वेतन लगभग साढ़े आठ लाख रुपए से लेकर तेरह लाख रुपए हो सकता है। विभिन्न संस्थाओं में औसत वेतन साठ हजार रुपए मासिक से शुरू होकर लाखों तक हो सकता है।

यहां से करें पढ़ाई

दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़,जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू,
पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, मोहनलाल सुखदेव विश्वविद्यालय, उदयपुर, जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता,
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र।

यशपाल (शिक्षक, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र)