जामा मस्जिद से करीब 500 मीटर की दूरी पर चांदनी चौक में एक मंदिर के आगंन में सैकड़ो बकरों ने विवेक जैन को घेर लिया। पेशे से सीए ने ईद-उल-अजहा के मौके पर 124 बकरों को कटने से बचाने के लिए करीब 15 लाख रुपये जुटाए थे। वह उन सभी को शांत करने के लिए स्पीकर से एक मंत्र को बोल रहा था। यह एक जैन मंत्र था। यह सब बकरें डरे हुए थे और उनको लग रहा था कि उनको बलि देने के लिए इकट्ठा किया गया है। उनको नहीं पता कि उन्हें हमने नई जिंदगी दी है।

ईद से पहले धरमपुर इलाके में नए जैन मंदिर में बकरे बाजारों जैसी ही चहल-पहल थी। हालांकि, यहां पर लोगों में उत्साह बकरों को कसाई के ब्लेड से बचाने के लिए था। लोग बकरों की एक झलक पाने के लिए मंदिर में जुट रहे थे। कुछ ने उनके चारे के लिए पैसे दिए तो किसी ने उनको प्यार से दुलारा।

जैन समुदाय बना चर्चा का विषय

हर साल मुस्लिम त्योहारों के दौरान शाकाहार और बर्बरता के बीच छिड़ी जंग के बीच, पुरानी दिल्ली में जैन समुदाय चर्चा का विषय बन गया था। सोशल मीडिया पर भी काफी ट्रेंड में रहे थे। हिंदू हो या मुस्लिम या सिख हर कोई पुरानी दिल्ली की गलियों में छिपे हुए इस मंदिर को जानता है। इसने इन बकरों को बचाने के लिए लाखों रुपये खर्च किए थे। जैन ने लोगों को बकरे के दर्शन के लिए आंगन में ले जाते हुए कहा कि हमे खुद पर काफी गर्व है। यह सब इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि देशभर से हमारे समुदाय से हमें काफी सपोर्ट मिला। हमारा धर्म हमें यही करना सिखाता है।

चिराग जैन ने याद करते हुए कहा कि इस सबकी शुरुआत उनके गुरु संजीव के एक फोन कॉल के बाद शुरू हुई थी। संजीव ईद पर बकरों की होने वाली हत्या से काफी परेशान थे। चिराग ने कहा कि वह इस बारे में कुछ करना चाहते थे और उसी वक्त फैसला किया कि हम सभी बकरों को नहीं बचा सकते लेकिन जितने ज्यादा को बचा सकते हैं उनको तो बचाने की कोशिश करनी चाहिए।

इसके बाद एक प्लानिंग की गई। 15 जून की शाम को जैन समुदाय के 25 लोगों की एक टीम बनाई गई। पैसे के लिए व्हाट्सएप पर मैसेज भेजा गया। इसके बाद एक टीम वहां पर गई जहां पर बकरों को बेचा जा रहा था। चिराग ने कहा कि हमने मुस्लिम समुदाय के लोग बनकर उनके बकरों के रेट पूछें। इतना ही नहीं, हमने बकरे की मंडियों का भी दौरा किया।

कई सारी टीमें बनाईं

16 जून को टीम सीक्रेट तरीके से पुरानी दिल्ली के जामा मस्जिद, मीना बाजार, मटिया महल और चितली कबर जैसे इलाकों में अलग-अलग बकरा बाजारों में फैल गई। सभी को यह बताया गया था कि वे कुर्ता पहनें और इस लहजे में बात करें कि बकरों को खरीदते समय किसी भी तरह की परेशानी से बच सकें। विवेक ने आगे कहा कि हमें किसी भी तरह का कोई डर नहीं था। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें इस बात का पता चल जाता कि हम मुस्लिम लोग नहीं है तो वे हमें बकरों को ज्यादा पैसों में बेचते। हम ज्यादा से ज्यादा बकरों को बचाना चाहते थे।

दस हजार की कीमत में खरीदे बकरें

बकरों को खरीदते समय कोई ज्यादा मोलभाव नहीं किया गया। आखिरकार बकरों को 10,000 रुपये प्रति बकरे की कीमत पर खरीद लिया गया। हालांकि, विवेक इस बात से काफी हैरान थे कि पुरानी दिल्ली की मंडियों में इन बकरों के साथ कैसा बर्ताव किया जाता है।

विवेक जैन ने कहा कि ऐसा लगा जैसे हम किसी स्ट्रीट वेंडर से कपड़े खरीद रहे हैं। बकरों को एक साथ ठूंस दिया गया था। इन सांस लेने वालों जानवरों के साथ बुरा बर्ताव किया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि मंदिर के आंगन को खाली कर दिया गया था। इसका ज्यादातर इस्तेमाल शादियों के लिए किया जाता था। जब शाम को सभी टीमें बकरों को वहां पर लेकर लौटी तो सभी तरफ खुशी का माहौल था।

15 लाख रुपये जुटाए

विवेक ने मुस्कुराते हुए कहा कि आखिरकार हम 100 से ज्यादा बकरों को बचाने में काफी हद तक सफल रहे। विवेक जैन ने यह भी बताया कि उन्होंने गुजरात, हैदराबाद, केरल, पंजाब और महाराष्ट्र के जैन समुदाय के लोगों से करीब 15 लाख रुपए इकट्ठा किए थे। उसी शाम विवेक, चिराग और दूसरे लोगों ने बचे हुए पैसे से भिंडी और पालक जैसे चारे खरीदे थे।

व्हाट्सएप और फेसबुक ग्रुप पर एक मैसेज तेजी से फैलाया गया कि नेक काम में सहयोग करें ताकि कुछ जानवरों की बलि देने से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि हम इन बकरों को गौशालाओं या दूसरी किसी जगह पर भेज देंगे। विवेक ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे चार बकरे भी खरीद पाएंगे। लेकिन उनकी अपील ने लोगों पर काफी ज्यादा असर डाला और लोगों ने पैसे भी काफी दान किए।

विवेक जैन ने कहा कि फिर एक बड़ा सवाल आया कि आखिर बचाए गए इन 124 बकरों को कहां पर रखा जाए। बागपत के अमीनगर बाजार में मनोज जैन ने कहा कि इन बकरों के लिए एक बाड़े को बनाया जा रहा है। इनको 15 दिन अलग-अलग रखा जाएगा। आठ साल पहले बकरों को बलि से बचाने के लिए मनोज ने बकरों के रहने के लिए एक ठिकाना बनाया। उनके उस ठिकाने में 615 बकरें हैं। इनको भारत में ईद के जश्न के दौरान बचाया गया था।