दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बुधवार को करेंसी नोटों पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर लगाने के सुझाव ने सियासी माहौल में गर्मी ला दी। इसको लेकर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई लोगों ने कहा कि यह आम आदमी पार्टी का हिंदू चुनावी कार्ड है। पार्टी इसका फायदा उठाने के लिए ऐसे सुझाव दे रही है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वे इसको लेकर प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी भेजेंगे। कहा कि यह देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए बेहतर उपाय है।

इस सुझाव पर दूसरी पार्टियों समेत मुस्लिम नेताओं ने भी सख्त एतराज जताया है। कहा कि नोटों पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर लगाने से एक मजहब के लोगों को खुश करने वाली बात होगी। नोट किसी एक मजहब का नहीं है। ऐसा हुआ तो मुसलमान भी मांग करेंगे कि नोटों पर उनकी पवित्र संख्या 786 लिखा जाए। इसके अलावा देवी-देवताओं की तस्वीर लगाने से पार्टी खुद को धर्मनिरपेक्ष कैसे साबित करेगी।

केजरीवाल की मांग पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई, जिसने इसे गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले आगामी चुनावों से पहले अपनी पार्टी के ‘भयावह हिंदू विरोधी चेहरे’ को छिपाने की ‘नाकाम कोशिश’ करार दिया है। इस बीच पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने केजरीवाल पर गुजरात में भाजपा को पछाड़ने के लिए ‘‘प्रतिस्पर्धी हिंदुत्व’’ का सहारा लेने का आरोप लगाया। वारिंग ने कहा, ‘‘अपने प्रतिस्पर्धी लोकलुभावन वायदे में विफल होने के बाद, केजरीवाल अब गुजरात को जीतने के लिए प्रतिस्पर्धी हिंदुत्व का सहारा ले रहे हैं, ‘लेकिन वह फिर से असफल हो जाएंगे, क्योंकि लोग उनकी मंशा को भांपने के मामले में बुद्धिमान हैं।’’

भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा, “आम आदमी पार्टी के नेता, गुजरात चीफ और अन्य नेताओं ने हिंदू देवताओं को अपशब्द कहे हैं, “उनके मंत्री, गुजरात प्रमुख और नेताओं ने हिंदू देवताओं को गालियां दी हैं और बहुत कुछ कहा है और फिर भी वे पार्टी में हैं। वे चुनाव में चेहरा बचाने के लिए नए हथकंडे ला रहे हैं। राम मंदिर पर आपत्ति करने वालों ने नया मुखौटा लगाया है।”

यूजर बोले- धर्म की राजनीति से बाज नहीं आ रहे राजनेता

सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा, “राजनीति करने के लिए धर्म का सहारा लेने से बाज नहीं आ रहे हैं सियासी नेता, क्योंकि वे जानते हैं कि वोट तो तभी मिलेगा, जब लोगों को भ्रम में रखा जाएगा। धर्म-जाति की राजनीति लोगों को एक नहीं होने देगी और लोग भ्रम में पड़े रहेंगे।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “लोगों की दिक्कतों और परेशानियों को दूर करने के बजाए राजनेता कभी नोटबंदी करते हैं तो कभी नोटों पर देवी-देवताओं की तस्वीर छापने की बात करते हैं।”

आप के पूर्व नेता आशुतोष ने केजरीवाल का मजाक उड़ाया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आप प्रमुख की सलाह का पालन करना चाहिए और तुरंत ‘सभी आर्थिक सलाहकारों को बर्खास्त कर देना चाहिए’। आशुतोष ने ट्वीट किया, ‘‘वाह..अरविंद केजरीवाल ने क्या महान आर्थिक मंत्र दिया है…ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए, ऋषि सुनक के लिए महान सुझाव। नरेंद्र मोदी को सभी आर्थिक सलाहकारों को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए। उनकी सलाह का पालन करें। भारत समृद्ध बन जाएगा।’’

फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने केजरीवाल पर विभिन्न धर्मों के बीच विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया। पंडित ने ट्वीट किया, ‘‘मैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस बयान की निंदा करता हूं, जिसमें उन्होंने कहा है कि भारतीय मुद्रा पर गणेश और लक्ष्मी की तस्वीर होनी चाहिए। इससे वह विभिन्न धर्मों के बीच फूट पैदा कर रहे हैं।’’

कुछ आमलोगों ने केजरीवाल पर पाखंड का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने दिवाली से पहले पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया और अब वह लक्ष्मी और गणेश के चित्र नोटों पर छापने का सुझाव दे रहे हैं, जबकि कई अन्य लोगों ने सवाल किया कि पहले स्कूलों और अस्पतालों के बारे में बात करने वाले आप नेता केजरीवाल ने ऐसी टिप्पणी क्यों की।

शांतनु ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘वह (केजरीवाल) राजनीति बदलने आए थे। (वह) छद्म उदारवादियों के प्रिय रहे हैं और वह तथाकथित राष्ट्रीय विकल्प की बात करते रहे हैं।’’ शांतनु ने खुद को ट्विटर हैंडल पर नेहरूवादी और गांधीवादी बताया है और उनके 6,700 से अधिक अनुयायी हैं। एक अन्य ट्विटर यूजर ने कहा कि केजरीवाल ने मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया की करेंसी का जिक्र किया है।

कुछ ट्विटर यूजर्स ने तो केजरीवाल के चित्र वाले करेंसी नोटों की तस्वीरें भी पोस्ट की हैं। हालांकि, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित आप के कई नेताओं ने केजरीवाल की टिप्पणी का समर्थन करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया।