National Population Register (NPR) को लेकर गैर भाजपा शासित राज्यों ने सवाल उठाते हुए कहा है कि ‘देश में रहने वाले कई लोग अपना बर्थडेट याद नहीं रखते तो उनके पैरेन्ट्स का कौन बताएगा?’ यह बातें बीते शुक्रवार (17-01-2020) को केंद्रीय गृह सचिव ए के भल्ला और Registrar General of India (RGI) के साथ मीटिंग में कही गई। 1 अप्रैल से देश भर में एनपीआर पर काम शुरू किये जाएंगे। लेकिन उससे पहले गृह मंत्रालय की तरफ से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव और जनगणना अधिकारियों की एक बैठक बुलाई गई थी। नई दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में बुलाई गई इस बैठक का मकसद था एनपीआर शुरू होने से पहले जरुरी प्रशिक्षण देना। इस कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने किया और कहा कि जनगणना 2021 में राज्यों की भूमिका काफी अहम है। उन्होंने यह भी कहा कि जनगणना से जुटाए गए आंकड़ों का इस्तेमाल जरुरतमंद लोगों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने के लिए किया जाएगा।
लेकिन इस बैठक के बाद राजस्थान के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने कहा कि ‘बैठक में हमने Registrar General of India से कहा कि ‘लोगों से उनके माता-पिता की जन्मतिथि और जन्मस्थान पूछना अव्यवहारिक है। इस देश के लोगों को अपना जन्मदिन याद नहीं है तो फिर वो अपने पैरेन्ट्स का बर्थडेट कैसे बताएंगे?’ बैठक में इस सवाल को सबसे पहले ओडिशा से आए प्रतिनिधियों ने उठाए। इसके बाद कुछ अन्य गैर भाजपा शासित राज्यों ने भी यह सवाल उठाया। हालांकि गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस सवाल को लेकर विस्तृत जवाब राज्यों को दिया गया है और वो इससे संतुष्ट हैं।
इस बैठक में RGI अधिकारियों ने एनपीआर प्रक्रिया को समझाने के लिए ट्रेनिंग से संबंधित एक प्रजेन्टेशन भी दिया। बताया गया है कि इसके तहत 98 राष्ट्रीय प्रशिक्षकों ने 1,880 मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित किया। मास्टर ट्रेनर्स अब राज्यों में 43,500 फिल्ड ट्रेनर्स को प्रशिक्षित करेंगे। इसके बाद करीब 29,92,000 गणनाकरों और सुपरवाइजरों को ट्रेनिंग दी जाएगी। बता दें कि तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्ववाली पश्चिम बंगाल सरकार ने जनगणना 2021 और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर हुई केन्द्र सरकार की बैठक में भाग नहीं लिया।