किसानों का आंदोलन 20वें दिन भी जारी रहा, लेकिन दिल्ली की ठंड और खराब मौसम के बावजूद किसानों और सरकार के बीच कोई सुलह का रास्ता अभी तक नहीं दिखा। आजतक न्यूज चैनल पर मंगलवार को हल्लाबोल डिबेट में इसको लेकर भारतीय किसान संघ के नेता मालिनी मोहन मिश्रा और कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा के बीच जोरदार बहस हुई।
एंकर अंजना ओम कश्यप के सवाल पर बोलते हुए पवन खेड़ा ने कहा, “मै संघ की विचारधारा से मौलिक रूप से खिलाफ हूं। लेकिन दत्तोपंत ठेंगड़ी का सम्मान सभी करते हैं। उस व्यक्ति ने डिसइन्वेस्टमेंट के खिलाफ जो आंदोलन छेड़ा था, रामलीला मैदान में एंटी फार्मर और एंटी लेबर होने का अटल बिहारी बाजपेयी जी पर तमगा लगाया था, तब सरकार को झुकना पड़ा था। हम भी देखे और आप भी देखी होंगी। लेकिन आज का संघ वह वाला संघ नहीं है, संघ के लोग आकर बताते हैं कि इतना नतमस्तक संघ कभी नहीं देखा था। इसका उदाहरण दिख रहा है आपके टीवी चैनल पर दिखा रहा है। कैसे सरेंडर करके बैठे हैं भारतीय किसान संघ के वरिष्ठ नेता हैं मिश्रा जी।”
.@Pawankhera ने संघ पर कही ये बात, भारतीय किसान संघ के मोहिनी मोहन मिश्रा ने दिया जवाब#हल्ला_बोल #FarmersProtest @anjanaomkashyap pic.twitter.com/pYXP4Gq2RJ
— AajTak (@aajtak) December 15, 2020
इस पर भारतीय किसान संघ के मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा, “पवन जी आपकी जानकारी कम है या जानबूझकर गलत बात बोल रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दूं। जब ये आर्डिनांस आया तो सबसे पहले किसान संघ ने इस पर विरोध जताया, सुधार की मांग की। 25 हजार गांवों से प्रस्ताव पासकर सरकार के पास भेजा था। अगर आप इतने बेचैन हैं तो आपने 50 साल शासन किए या जितने भी साल शासन किए आप मंडी में किसान को टैक्स न देना पड़े, उसका उपाय कर देते, किसान बेचने के लिए जाता है, क्यों टैक्स देता है। इतनी आपको समझ नहीं है क्या या आपकी पार्टी को नहीं मालूम क्या। आपकी सरकार ने क्यों नहीं किया? किसान आज भी मंडी के अंदर टैक्स देता है 5 से 8 फीसदी, 10 फीसदी टैक्स देता है।”
उनकी बात पर जवाब देते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आश्चर्य जताते हुए कहा, “मुझे हैरानी हो रही है मिश्रा जी की बात सुनकर। मंडी में डिवलेपमेंट चार्ज और फीस किसान देता है या खरीदार देता है। अच्छा हुआ कि मोदी जी आपसे सलाह नहीं लेते हैं। आपकी बात तो खेर सुनते ही नहीं हैं। आज दत्तोपंत ठेंगड़ी जी की आत्मा कितना दुखी होगी, परेशान होगी यह देखकर। कहां दत्तोपंत ठेंगड़ी और कहां मोहिन मोहन मिश्रा जी।”