योग गुरु स्वामी रामदेव पतंजलि के प्रोडक्ट्स के बारे में बताते हुए एलोपैथी की बुराई करने लगे थे। दरअसल, स्वामी रामदेव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें कि वे पतंजलि के प्रोडक्ट्स और उनके ऊपर दी जा रही छूट के बारे में बता रहे थे। इस बीच उन्होंने कहा कि फार्मा इंडस्ट्री, एलोपैथी, डॉक्टर बीमारियों को ठीक नहीं कर पाते हैं। कई बार कॉम्पलिकेशन के चलते तबाही मच जाती है।

रामदेव ने कहा कि देश के न जान कितने युवा हैं जो पढ़ाई-लिखाई कर के बैठे हुए थे लॉकडाउन में। लेकिन उनकी पढ़ाई लिखाई काम नहीं आ सकी। पतंजलि के कई प्रोडक्ट्स के जरिए हमने बहुत से लोगों को रोजगार दिया और स्वावलंबी बनाया। बता दें कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट को वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक ‘रिसर्च एसोसिएशन’ के रूप में अधिसूचित किया है। जिसका मतलब है कि ट्रस्ट को दिया जाने वाला दान आयकर कटौती के लिए पात्र होगा। सीबीडीटी ने वित्तीय वर्ष 2021-22 से पांच साल के लिए आयकर अधिनियम की धारा 35(1)(ii) के तहत यह दर्जा दिया है।

बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह योग गुरु रामदेव की उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें कोविड महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी को लेकर दर्ज कई एफआईआर के संबंध में कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गई है। जांच पर रोक लगाने और इस संबंध में उनके खिलाफ दर्ज मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने की उनकी याचिका के बाद शीर्ष अदालत को एलोपैथिक दवा के उपयोग पर उनके बयानों की जांच करनी थी।

बता दें कि गुरु रामदेव ने COVID महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के उपयोग के खिलाफ अपनी कथित टिप्पणी पर दर्ज कई एफआईआर के संबंध में कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी।  इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की शिकायतों के बाद रामदेव के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई थीं। आपराधिक शिकायतों को रद्द करने की मांग के अलावा, रामदेव ने उन्हें क्लब करने और दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की थी।

IMA ने आरोप लगाया कि रामदेव की टिप्पणी से COVID नियंत्रण तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है और बयान लोगों को महामारी के खिलाफ उचित उपचार का लाभ उठाने से रोक सकते हैं।