संसद का बुधवार (16 नवंबर) से शुरू होने वाला शीतकालीन सत्र काफी हंगामेदार रहेगा जब एकजुट विपक्ष ने बड़े नोटों को अमान्य करने के सरकार के कदम पर सरकार को घेरने की तैयारी की है और इसे ‘नोट घोटाला’ करार देते हुए इसकी जांच कराने की मांग की है। विपक्षी दल सत्र के दौरान सीमापार लक्षित हमला, जम्मू कश्मीर की स्थिति, वन रैंक-वन पेंशन और किसानों की स्थिति जैसे मुद्दों को उठायेंगे जो एक महीने चलेगी। विपक्ष के एजेंडे में बड़े नोटों को अमान्य करने के निर्णय पर संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग भी है। सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार (15 नवंबर) को विपक्षी नेताओं से मुलाकात की और कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सहयोग देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इसी मकसद से बड़े नोटों को अमान्य करने का कदम उठाया गया है।
संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्वसंध्या पर आयोजित सर्वदलीय बैठक की समापन टिप्पणी में प्रधानमंत्री ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ साथ कराने का समर्थन किया, साथ ही इस बात का चुनाव के सरकारी वित्त पोषण का भी पक्ष लिया और सभी दलों से इस पर चर्चा करने का आग्रह किया। मोदी ने कहा कि सरकार विपक्ष की ओर से उठाये गए सभी मुद्दों पर चर्चा कराने और जवाब देने को तैयार है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि संसद का यह सत्र सार्थन होगा और इस संदर्भ में पिछले सत्र में जीएसटी विधेयक पारित कराने में सभी दलों के सहयोग को भी याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमने कालाधन, भ्रष्टाचार के साथ फर्जी नोटों के खिलाफ युद्ध छेड़ा है जो सीमा पार आतंकवाद के कारणों में है। सभी दलों को राष्ट्रहित के मुद्दों पर एक साथ आना चाहिए।’
कांग्रेस के साथ मंगलवार को विपक्षी दलों ने बुधवार (16 नवंबर) से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार को बड़े नोटों को अमान्य करने के उसके कदम पर घेरने का निर्णय किया। एकजुट तस्वीर पेश करने का प्रयास करते हुए चिर प्रतिद्वन्द्वी तृणमूल कांग्रेस एवं वाम दल तथा सपा एवं बसपा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से बुलाई गई बैठक में साथ आए जो संयुक्त रणनीति बनाने के लिए बुलाई गई थी। हालांकि इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए राष्ट्रपति भवन मार्च के प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन सकी। अधिकांश दल इस मुद्दे पर पहले ही दिन राष्ट्रपति भवन मार्च करके इस मुद्दे के प्रभाव को कम नहीं करना चाहते थे
इस मुद्दे पर बुधवार को इन नेताओं की फिर बैठक होगी ताकि इस बारे में रणनीति को अंतिम रूप दिया जा सके। इस बारे में बैठक में संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग समेत सभी संसदीय उपायों का उपयोग करने और सरकार को जवाबदेह ठहराने पर सहमति बनी। अपनी ओर से तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी बुधवार को राष्ट्रपति से मुलाकात करने की योजना को आगे बढ़ाएगी। तृणमूल कांग्रेस, माकपा, बसपा, सपा, जदयू और द्रमुक समेत 13 विपक्षी दलों की बैठक में विपक्षी नेताओं ने इस बारे में सर्वसम्मति से यह तय किया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से मुलाकात करना अभी जल्दबाजी होगी जिसे पहले पर्याप्त रूप से संसदीय मंचों पर उठाया जाना चाहिए।
विभिन्न दलों ने लोकसभा एवं राज्यसभा में अलग-अलग कार्यस्थगन नोटिस दिया है और इस बारे में चर्चा कराने और आम लोगों को हो रही परेशानियों को उठाने पर जोर दिया है। इन विपक्षी दलों का मानना है कि जहां तक राष्ट्रपति भवन तक मार्च का सवाल है, अभी ऐसा करना जल्दबाजी होगी। विपक्षी दल के रूप में पहले विभिन्न संसदीय मंचों पर इसे उठाया जाना चाहिए। लेकिन पहले दिन ही नहीं राष्ट्रपति भवन मार्च नहीं करना चाहिए। पहले दिन संसद के भीतर चर्चा होनी चाहिए। बैठक में इस बारे में सर्वसम्मति थी कि संसद में मुद्दे को उठाने से पहले पहले ही दिन इस मुद्दे पर राष्ट्रपति भवन जाने की कोई जरूरत नहीं है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद संभवत: यह पहला मौका है जब कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष का इतना बड़ा समूह संसद सत्र से पहले साथ आया है और बड़े नोटों को अमान्य करने के मुद्दे पर सरकार को घेरने का प्रस्ताव किया है।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बैठक के बाद कहा, ‘विपक्षी दलों में इस बारे में सर्वसम्मति थी कि जहां तक राष्ट्रपति भवन तक मार्च का सवाल है, अभी ऐसा करना जल्दबाजी होगी। इसे पहले विभिन्न संसदीय मंचों पर इसे उठाया जाना चाहिए। पहले दिन संसद के भीतर चर्चा होनी चाहिए। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि आम लोगों को वैकल्पिक व्यवस्था होने तक सही कार्यो के लिए पुराने नोटों का उपयोग करने दिया जाना चाहिए। उन्होंने इस कदम को तुगलत राज करार देते हुए मोदी सरकार पर चुटकी ली। उनकी पार्टी के मोहम्मद सलीम ने आरोप लगाया कि अप्रैल के बाद से भाजपा नेताओं ने बड़ी मात्रा में नकदी का लेनदेन किया है और इसे ‘नोट घोटाला’ करार दिया और इसकी जांच कराए जाने की मांग की।
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