Parliament Special Session: केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। उधर विपक्षी पार्टियों ने सरकार से सवाल-जवाब करने के लिए 9 मुद्दों की लिस्ट तैयार की है। वहीं सोमवार को पुरानी संसद में संसद की कार्यवाही का आखिरी दिन है। मंगलवार यानी 19 सितंबर से संसद की कार्यवाही नई पार्लियामेंट बिल्डिंग में होगी। सोमवार को पीएम मोदी ने पुराने संसद भवन में 50 मिनट की आखिरी स्पीच दी। पीएम ने इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद करते हुए कहा- ये वो सदन है जहां पंडित नेहरू का स्टोक्स ऑफ मिडनाइट की गूंज हम सबको प्रेरित करता है। इदिरा गांधी के नेतृत्व में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का आंदोलन भी इसी सदन ने देखा था।

  1. संसद के 75 साल पूरे होने पर चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में पुरानी यादें ताजा कीं। उन्होंने उस पल को याद किया, जब उन्होंने पहली बार संसद भवन में प्रवेश किया था। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया, तो सहज रूप से मैंने इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन करते हुए यहां कदम रखा था। वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था। मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था, लेकिन ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है और भारत के सामान्य मानवी की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा का प्रतिबिंब है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा पार्लियामेंट में पहुंच गया।
  2. पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, “यह पुराना संसद भवन हमारे देशवासियों के पसीने, कड़ी मेहनत और पैसे से बनाया गया है।” पीएम ने चंद्रयान-2 मिशन और जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ”नए परिसर में जाने से पहले इस संसद भवन से जुड़े प्रेरणादायक क्षणों को याद करने का समय आ गया है।” उन्होंने कहा कि हम भले ही नई इमारत में जा रहे हैं, लेकिन यह इमारत आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
  3. पीएम ने कहा, “यह वह संसद है जहां पंडित नेहरू ने ‘आधी रात को’ भाषण दिया था जो हर किसी को प्रेरित करता है।” लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि सदन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान ”cash for votes’ स्कैम भी देखा गया।
  4. सबका साथ, सबका विकास का मंत्र, अनेक ऐतिहासिक निर्णय, दशकों से लंबित विषय और उनका समाधान भी इसी सदन में हुआ। धारा 370 ये सदन हमेशा याद रखेगा। वन नेशन वन टैक्स, GST का निर्णय भी इसी सदन ने किया। ‘वन रैंक, वन पेंशन’ भी इसी सदन ने देखा। गरीबों के लिए 10 % आरक्षण बिना किसी विवाद के इसी सदन में हुआ।
  5. बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और उसका समर्थन भी इसी सदन ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया था। इसी सदन ने इमरजेंसी में लोकतंत्र पर होता हुआ हमला भी देखा था और इसी सदन ने भारत के लोगों की ताकत का एहसास कराते हुए लोकतंत्र की वापसी भी देखी थी।
  6. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे शास्त्रों में माना गया है कि किसी एक स्थान पर अनेक बार जब एक ही लय में उच्चारण होता है तो वह तपोभूमि बन जाता है। नाद की ताकत होती है, जो स्थान को सिद्ध स्थान में परिवर्तित कर देती है। मैं मानता हूं कि इस सदन में 7,500 प्रतिनिधियों की जो वाणी यहां गूंजी है, उसने इसे तीर्थक्षेत्र बना दिया है। लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा रखने वाला व्यक्ति आज से 50 साल बाद जब यहां देखने के लिए भी आएगा तो उसे उस गूंज की अनुभति होगी कि कभी भारत की आत्मा की आवाज यहां गूंजती थी। करीब-करीब 7,500 से अधिक जनप्रतिनिधि अबतक दोनों सदनों में अपना योगदान दे चुके हैं। इस कालखंड में करीब 600 महिला सांसदों ने दोनों सदनों की गरिमा को बढ़ाया है।
  7. संसद कवर करने वाले पत्रकारों का भी पीएम मोदी ने जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तब मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं, जिन्होंने पूरा जीवन संसद के काम को रिपोर्ट करने में लगा दिया। एक प्रकार से वे जीवंत साक्षी रहे हैं। उन्होंने पल-पल की जानकारी देश तक पहुंचाईं। ऐसे पत्रकार जिन्होंने संसद को कवर किया, शायद उनके नाम जाने नहीं जाते होंगे लेकिन उनको कोई भूल नहीं सकता है। सिर्फ खबरों के लिए ही नहीं, भारत की इस विकास यात्रा को संसद भवन से समझने के लिए उन्होंने अपनी शक्ति खपा दी। मोदी ने कहा कि एक प्रकार से जैसी ताकत यहां की दीवारों की रही है, वैसा ही दर्पण उनकी कलम में रहा है और उस कलम ने देश के अंदर संसद के प्रति, संसद के सदस्यों के प्रति एक अहोभाव जगाया है।
  8. सदन और सदस्यों की रक्षा करने वाले सुरक्ष कर्मियों का भी पीएम मोदी ने जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आतंकियों से लड़ते-लड़ते सदन और सदन के सदस्यों को बचाने के लिए जिन्होंने अपने सीने पर गोलियां झेलीं, आज मैं उनको भी नमन करता हूं। वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने बहुत बड़ी रक्षा की है।
  9. प्रधानमंत्री ने कहा कि यब वो सदन है जहां कभी भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त ने अपनी वीरता सामर्थ्य को बम का धमाका करके अंग्रेज सल्तनत को जगा दिया था। उन्होंने कहा कि सरकारें आएंगी जाएगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी, लेकिन यह देश बना रहना चाहिए। पंडित नेहरू की जो आरम्भिक कैबिनेट थी, उसमें बाबा साहेब बहुत योगदान दिया करते थे। बाबा साहेब ने देश को नेहरू जी की सरकार में देश को वाटर पॉलिसी दी थी। आंबडेकर जी एक बात कहते थे कि देश का औद्योगिकरण होना चाहिए, क्योंकि उससे देश के दलितों का भला होगा। श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने इस देश में पहली इंडस्ट्री पालिसी दी। शास्त्री जी ने 65 के युद्ध में देश के सैनिकों का हौंसला इसी सदन से बढ़ाया था। बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के आंदोलन इदिरा गांधी के नेतृत्व में इसी सदन ने देखा था।
  10. इस सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है। हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन बहुत सारी भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है। 75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस सदन के सभी सदस्यों ने उसमें सक्रियता से योगदान दिया है।