Arbitration Centre Rename Bill Passed: संसद ने बुधवार (14 दिसंबर) को नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र का नाम बदलने को लेकर विधेयक पारित किया है। बता दें कि यह विधेयक संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है। जहां यह विधेयक राज्यसभा (Rajya Sabha) में बुधवार को पारित हुआ तो वहीं लोकसभा (Loksabha) में इसे 8 अगस्त, 2022 को ही पारित किया गया था।
Arbitration Centre New Name- यह होगा नया नाम
इस विधेयक के पारित होने के बाद नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अधिनियम, 2019 में संशोधन होगा। इस बदलाव के बाद नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र का नाम बदलकर भारत अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (India International Arbitration Centre) होगा। बता दें कि राज्यसभा बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद के उच्च सदन में पेश किया।
बिल पेश करने के दौरान उच्च सदन में केंद्रीय मंत्री रिजिजू (Union Minister Kiren Rijiju) ने कहा कि यह विधेयक भारत को वैश्विक स्तर पर मध्यस्थता के लिए एक खास पहचान के रूप में उभरने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, “भारत अभी भी मध्यस्थता का केंद्र नहीं है, जबकि छोटे देश और शहर मध्यस्थता के प्रमुख केंद्रों के रूप में उभरे हैं।”
भारत की होगी अलग पहचान- किरेन रिजिजू
उन्होंने सदन को विश्वास दिलाते हुए कहा कि मोदी सरकार (Narendra Modi Government) द्वारा जो कदम उठाए जा रहे हैं उससे भारत को मध्यस्थता केंद्र के रूप में जाने जाएगा। रिजिजू ने कहा, “यह संशोधन इसी नजरिए के साथ लाया गया है।” उन्होंने कहा, वर्तमान में लोग मध्यस्थता के लिए सिंगापुर, लंदन और हांगकांग जैसे स्थानों को प्राथमिकता देतें हैं लेकिन इस पहल के बाद उनकी प्राथमिकताओं में बदलाव होंगे।
रिजिजू ने कहा कि मौजूदा समय में देश एक आर्थिक शक्ति के रूप में तेजी से उभर रहा है और इसके साथ ही भारत मध्यस्थता के लिए वैश्विक कारोबारी समुदाय को भी अपनी तरफ आकर्षित करेगा। उन्होंने कहा, “हम उन केंद्रों की तुलना में अधिक किफायती शुल्क पर मध्यस्थता के अवसर प्रदान कर सकते हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार जल्द से जल्द इस दिशा में काम शुरू करना चाहती है।
हालांकि इस बिल के पेश होने पर उच्च सदन के कुछ सदस्यों ने इस बात की आशंका जतायी थी कि मध्यस्थता केंद्र में सरकार के हस्तक्षेप से उसकी साख एवं आजादी पर असर पड़ सकता है। नाम बदलने से जुड़े एक सवाल पर रिजिजू ने कहा कि भारत के महत्वपूर्ण शहरों जैसे मुंबई और कोलकाता में अपने स्वयं के मध्यस्थता केंद्र हैं।
‘विश्व बैंक के दबाव में नहीं’
उन्होंने कहा, “दिल्ली में भी एक और निकाय दिल्ली आर्बिट्रेशन सेंटर (DAC) काम कर रहा है।” उन्होंने कहा कि दिल्ली के समान नाम वाले दो मध्यस्थता केंद्र होना सही नहीं होगा। रिजिजू ने कहा कि यह गलत है कि सरकार ने यह विधेयक विश्व बैंक के दबाव में पेश किया है। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता केंद्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाना सरकार की प्राथमिकता है।