Budget Session 2023: लोकसभा और राज्यसभा को गुरुवार (6 मार्च) को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया जिसके साथ ही बजट सत्र 2023 समाप्त हो गया। यह हाल के दिनों में सबसे कम प्रोडक्टिविटी वाले सत्र में से एक रहा। पूरे सत्र में जहां बीजेपी राहुल गांधी की विदेश में टिप्पणी के लिए माफी की मांग करती रही तो वहीं कांग्रेस समेत विपक्ष अडानी मामले की जेपीसी जांच की मांग पर अड़ा रहा।

पांच वर्षों में सबसे कम उत्पादकता वाला बजट सत्र

थिंक टैंक पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के डेटा के अनुसार, 17वीं लोकसभा का 11वां सत्र हाल के दिनों में सबसे हंगामेदार रहा। बार-बार हंगामे के चलते बजट सत्र में प्रोडक्टिविटी बेहद कम रही। सत्र के दूसरे भाग में तो यह 5.3 प्रतिशत पर पहुंच गई। वहीं, पहले भाग में यह 88.3 प्रतिशत रही। पिछले पांच वर्षों में इस बजट सत्र की उत्पादकता सबसे कम रही। वहीं, 17वीं लोकसभा में 1952 के बाद से सबसे कम बैठकें होने की संभावना है।

पूरे बजट सत्र के दौरान लोकसभा में मात्र 45 घंटे से हुआ कामकाज

17वीं लोकसभा में अब तक 230 बैठकें हुई हैं। पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली सभी लोकसभाओं में से 16वीं लोकसभा में बैठकों की संख्या सबसे कम (331) थी। साल में औसतन 58 बैठकें होने के कारण 17वीं लोकसभा में 331 दिनों से ज्यादा बैठकें होने की संभावना नहीं है। आंकड़ों के अनुसार पूरे बजट सत्र के दौरान लोकसभा में 133.6 घंटे की तय अवधि के मुकाबले 45 घंटे से थोड़ा ज्यादा कामकाज हुआ, जबकि राज्यसभा में 130 घंटे की तय अवधि में से 31 घंटे से थोड़ा अधिक काम हुआ। लोकसभा में निर्धारित समय का 34.85%, राज्यसभा में 24.4% ही कामकाज हुआ। लोकसभा में प्रश्नकाल केवल 4.32 जबकि राज्यसभा में सिर्फ 1.85 घंटे चला।

राज्यसभा के दूसरे चरण में सिर्फ 6.4% उत्पादकता

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर 13.44 घंटे चर्चा हुई। इसमें 143 सदस्यों ने भाग लिया। बजट पर 14.45 घंटे चर्चा हुई। आठ विधेयक पेश और छह विधेयक पारित हुए। सभापति जगदीप धनखड़ के अनुसार राज्यसभा ने व्यवधानों में 103 घंटे 30 मिनट का समय गंवा दिया। राज्यसभा में पहले चरण में 56.3%, दूसरे चरण में सिर्फ 6.4% कार्य उत्पादकता रही। लोकसभा में पहले चरण में 83.80% के मुकाबले दूसरे चरण में यह 5.29% ही रही।

बिना चर्चा के ही पारित हुए विधेयक

वित्त और विनियोग विधेयकों को छोड़कर इस सत्र में पारित होने वाला एकमात्र विधेयक, प्रतिस्पर्धा (संसोधन) विधेयक, 2022 रहा। सभी विधेयकों को दोनों सदनों में बिना चर्चा के ही पारित कर दिया गया। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही पर अपनी समापन टिप्पणी में दुख जताते हुए इसे विडंबना बताया। उन्होंने कहा संसद में अव्यवस्था, नई व्यवस्था बन रही है। एक नया मानदंड है जो लोकतंत्र के सार को नष्ट कर देता है।

वहीं, बीजेपी ने आरोप लगाया कि सत्र के आखिरी दिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्यों ने अशोभनीय व्यवहार दिखाया और काले कपड़े पहनकर सदन का अपमान किया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि देश एक व्यवस्था से चलता है, यह कांग्रेस की मनमानी से नहीं चलेगा।