Pariksha Pe Charcha 2020 : पीएम मोदी ने सोमवार को छात्रों के साथ ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में 2000 छात्रों के अलावा अभिभावकों और शिक्षकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के शुरुआत में पीएम मोदी ने छात्रों द्वारा लगाई गई पेंटिग्स की प्रदर्शनी को देखा और उन्हें काफी सराहा।
तकनीक पर करें नियंत्रण, समय न करें बर्बाद:
नई तकनीक को सीखने के लिए छात्रों को प्रेरित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हम सिर्फ इसका ज्ञान ही नहीं होना चाहिए बल्कि उसकी उपयोग अपने हित के लिए करना सीखना चाहिए। पीएम मोदी ने छात्रों से अपील की कि वो कम से कम 1 घंटा खुद को तकनीक से दूर रखें…इसके उनके जीवन में काफी बदलाव आएगा। इसके अलावा पीएम ने अभिभावकों से कहा कि वो छात्रों पर बेहतर अंक लाने या ऐक्स्ट्रा ऐक्टिविटी के लिए दबाव ना डालें।
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जम्मू-कश्मीर की छात्रा ने पूछा यह सवाल:
जम्मू-कश्मीर की छात्रा करिश्मा ने पीएम से पूछा कि ‘उनके मां-बाप की उम्मीदें हैं कि वह अच्छे मार्क्स लाएं, वह कैसे उनकी उम्मीद पूरी कर सकती हैं और इसके स्ट्रेस से कैसे फ्री हो सकती हैं?’ पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं किसी भी माता-पिता पर दबाव नहीं डालना चाहता हूं….मैं नहीं चाहता हूं कि मेरे कहने के बाद बच्चे बगावत करें… मां-बाप, शिक्षकों को सोचना चाहिए कि बच्चों की कैपिबिलिटी कितनी है….उनको बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए।’
‘नागरिक अधिकारों और कर्तव्यों में सबसे ज्यादा क्या जरूरी है?:
अरुणाचल प्रदेश की छात्रा तपी अगू, गुजरात की गुनाक्षी शर्मा और चेन्नई के छात्र शैलेष कुमार ने पीएम मोदी से पूछा, ‘नागरिक अधिकारों और कर्तव्यों में सबसे ज्यादा क्या जरूरी है?’ इस सवाल का PM मोदी ने जवाब देते हुए कहा, ‘देश में अरुणाचल प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है, तो वहां के लोग एक-दूसरे से जब मिलते हैं तो जय हिंद कहते हैं….1962 की वॉर के बाद अरुणाचल प्रदेश का मिजाज बदला है, वहां के लोगों ने सभी भाषाओं को अपनाया है। पीएम ने कहा कि ‘हमारे कर्तव्य में ही सबके अधिकार समाहित हैं….अगर मैं शिक्षक के नाते अपना कर्तव्य निभाता हूं तो विद्यार्थी के अधिकार की रक्षा होती है।’
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‘क्या अंकों से सफलता को मापा जा सकता है?’:
उत्तराखंड के छात्र मयंक ने वीडियो मैसेज के जरिए पीएम से पूछा, ‘परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए हम कितना ध्यान लगाएं और क्या अंकों से सफलता को मापा जा सकता है?’ पीएम ने कहा, ‘सफलता-विफलता का टर्निंग पॉइंट मार्क्स बन गए हैं। मन इसी में रहता है कि एक बार ज्यादा अंक ले आऊं। मां-बाप भी ऐसा ही करते हैं। 10वीं के बाद 12वीं और उसके बाद एंट्रेंस एग्जाम के लिए मां-बाप बच्चों पर प्रेशर डालते हैं।’ पीएम ने आगे कहा कि ‘आज जिंदगी बदल चुकी है…अंक पड़ाव हैं लेकिन ये जिंदगी है और अंक ही सब कुछ है, ये नहीं मानना चाहिए। हमें इस सोच से बाहर आना चाहिए। बच्चों के माता-पिता से गुजारिश करूंगा कि वो बच्चों पर प्रेशर न डालें…बच्चों को उनके मन की भी करने दें।’
‘पढ़ाई में कमजोर पर खेलकूद में अच्छे तो क्या होगा भविष्य?’:
मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली की छात्रा ने पूछा, ‘जो छात्र पढ़ाई में अच्छे नहीं होते हैं लेकिन अन्य क्षेत्रों जैसे- खेलकूद, संगीत आदि में अच्छे होते हैं, उनका भविष्य क्या होगा, इनके बीच बैलेंस कैसे करें?’ पीएम ने जवाब दिया कि ‘शिक्षा के जरिए हम दुनिया में प्रवेश करते हैं…जब बच्चे ABCD सीखते हैं तो इसका मतलब है कि वो नई दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। ‘क ख ग घ’ से शुरू करते हुए वो कहां पहुंच गया। जो हम सीखते हैं उसे रोजाना कसौटी पर कसना चाहिए।’
परीक्षा के दौरान तनाव कैसे दूर करें?:
परीक्षा के दौरान तनाव से मुक्त कैसे रहे? इसी थीम पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के दौरान राजस्थान से आई 10वीं की छात्रा एक यशश्री ने पीएम से पूछा कि परीक्षा से पहले तनाव में आते हैं, कैसे दूर करें? इसका जवाब देते हुए पीएम ने कहा कि ‘ज्यादातर खऱाब मूड होने में बाहर की परिस्थिति जिम्मेदार हैं…पीएम ने कहा कि अपेक्षा पूरी ना होने पर मूड ऑफ ना करें।
Highlights
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘आज जाने-अनजाने सफलता-विफलताओं का पैमाना परीक्षाओं के मार्क्स बन गए है। इस वजह से छात्र सोचते हैं, कि बाकी सब पीछे छोड़े पहले नंबर ले आऊं। माता-पिता अपने बच्चों से 10वीं-12वीं में अच्छे नंबर लाने, इसके बाद कोई एंट्रेंस निकालने का कहते हैं। अब दुनिया बदल गई है। एग्जामिनेशन जिंदगी नहीं, सिर्फ एक पड़ाव है।'
परीक्षा पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने क्रिकेट मैच का उदाहरण देते हुए समझाया कि साल 2001 में भारत-ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट मैच था। सारा माहौल डिमोटिवेशन का था। लेकिन राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने ऐसा खेला कि परिस्थिति को उलट दिया। उन्होंने मैच जीत लिया। पीएम ने इस उदाहरण के जरिए समझाया कि जूझ जाएं तो नतीजा बदल सकता है। पीएम ने कहा कि साल 2002 में वेस्टइंडीज के साथ मैच में अनिल कुंबले को जबड़े में गेंद लग गई। हम सोच रहे थे कि अनिल बॉलिंग कर पाएंगे या नहीं। अगर वे न भी खेलते तो देश उन्हें दोष न देता, लेकिन वे पट्टी लगाकर मैदान पर उतरे। उस समय ब्रायन लारा का विकेट लेना बड़ा काम माना जाता था। उन्होंने लारा का विकेट लेकर पूरा मैच पलट दिया। यानी एक व्यक्ति की हिम्मत से परिस्थितियां कैसे बदल सकती हैं। एक आदमी का संकल्प कइयों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है।’’
पीएम मोदी ने अभिभावकों से अनुरोध करते हुए कहा कि 'जितना ज्यादा आप बच्चे को प्रोत्साहित करोगे, उतना परिणाम ज्यादा मिलेगा और जितना दबाव डालोगे उतना ज्यादा समस्याओं को बल मिलेगा। अब ये मां-बाप और अध्यापकों को तय करना है कि उन्हें क्या चुनना है।'
पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में कहा कि अगर हम प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर जीवन जिएंगे, तो प्रकृति स्वयं आपको आगे ले जाने में सहायता करेगी। इसीलिए समय और परिस्थिति की पसंद में हमे, प्रकृति के अनुकूल समय खोजना चाहिए।
अधिकार और कर्तव्यों को लेकर पूछे गए एक सवाल को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि अधिकार और कर्तव्य दोनों अलग नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमारे कर्तव्यों में ही अधिकार भी समाहित हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी को नागरिक के नाते कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। लाइन में रहना, बिजली की कम खपत करना और टिकट लेकर ही चलने जैसी चीजों के जरिए हम अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकते हैं।
'परीक्षा पर चर्चा' कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि यह वह दौर है, जब माता-पिता बच्चों पर ऐक्स्ट्रा ऐक्टिविटी के लिए भी दबाव डालने लगे हैं। मां-बाप का भी काम है कि यह देखें कि वह बच्चों की रुचि देखें और उसके मुताबिक उन्हें अवसर दें। पीएम मोदी ने कहा कि मां-बाप को बच्चों पर ऐक्स्ट्रा ऐक्टिविटी के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए।
छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में पीएम मोदी ने छात्रों के कई सवालों के जवाब दिये और परीक्षा के वक्त उन्हें तनाव से दूर रहने का टिप्स भी दिया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, '2022 में आजादी के 75 साल हो रहे हैं और 2047 में आजादी के 100 साल होंगे, तो आप कहां होंगे...आप किसी न किसी व्यवस्था में लीडर हों सकते हैं।' कार्यक्रम में पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया का जिक्र भी किया। पीएम ने कहा कि 'अगर हम मेक इन इंडिया सामान खरीदते हैं तो फायदा देश का होगा, ये आपका कर्तव्य भी होगा. आपको अपना कर्तव्य ही सही ढंग से निभाना है.''अगर हम बिजली-पानी की सही इस्तेमाल करते हैं, घर में अन्य व्यवस्थाओं का सही रूप से पालन करते हैं तो ये भी देशभक्ति है।'
जम्मू-कश्मीर की छात्रा करिश्मा ने पीएम से पूछा कि 'उनके मां-बाप की उम्मीदें हैं कि वह अच्छे मार्क्स लाएं, वह कैसे उनकी उम्मीद पूरी कर सकती हैं और इसके स्ट्रेस से कैसे फ्री हो सकती हैं?' पीएम मोदी ने कहा, 'मैं किसी भी माता-पिता पर दबाव नहीं डालना चाहता हूं....मैं नहीं चाहता हूं कि मेरे कहने के बाद बच्चे बगावत करें... मां-बाप, शिक्षकों को सोचना चाहिए कि बच्चों की कैपिबिलिटी कितनी है....उनको बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए।'
अरुणाचल प्रदेश की छात्रा तपी अगू, गुजरात की गुनाक्षी शर्मा और चेन्नई के छात्र शैलेष कुमार ने पीएम मोदी से पूछा, 'नागरिक अधिकारों और कर्तव्यों में सबसे ज्यादा क्या जरूरी है?' इस सवाल का PM मोदी ने जवाब देते हुए कहा, 'देश में अरुणाचल प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है, तो वहां के लोग एक-दूसरे से जब मिलते हैं तो जय हिंद कहते हैं....1962 की वॉर के बाद अरुणाचल प्रदेश का मिजाज बदला है, वहां के लोगों ने सभी भाषाओं को अपनाया है। पीएम ने कहा कि 'हमारे कर्तव्य में ही सबके अधिकार समाहित हैं....अगर मैं शिक्षक के नाते अपना कर्तव्य निभाता हूं तो विद्यार्थी के अधिकार की रक्षा होती है।'
मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली की छात्रा ने पूछा, 'जो छात्र पढ़ाई में अच्छे नहीं होते हैं लेकिन अन्य क्षेत्रों जैसे- खेलकूद, संगीत आदि में अच्छे होते हैं, उनका भविष्य क्या होगा, इनके बीच बैलेंस कैसे करें?' पीएम ने जवाब दिया कि 'शिक्षा के जरिए हम दुनिया में प्रवेश करते हैं...जब बच्चे ABCD सीखते हैं तो इसका मतलब है कि वो नई दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। 'क ख ग घ' से शुरू करते हुए वो कहां पहुंच गया। जो हम सीखते हैं उसे रोजाना कसौटी पर कसना चाहिए।'
उत्तराखंड के छात्र मयंक ने वीडियो मैसेज के जरिए पीएम से पूछा, 'परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए हम कितना ध्यान लगाएं और क्या अंकों से सफलता को मापा जा सकता है?' पीएम ने कहा, 'सफलता-विफलता का टर्निंग पॉइंट मार्क्स बन गए हैं। मन इसी में रहता है कि एक बार ज्यादा अंक ले आऊं। मां-बाप भी ऐसा ही करते हैं। 10वीं के बाद 12वीं और उसके बाद एंट्रेंस एग्जाम के लिए मां-बाप बच्चों पर प्रेशर डालते हैं।' पीएम ने आगे कहा कि 'आज जिंदगी बदल चुकी है...अंक पड़ाव हैं लेकिन ये जिंदगी है और अंक ही सब कुछ है, ये नहीं मानना चाहिए। हमें इस सोच से बाहर आना चाहिए। बच्चों के माता-पिता से गुजारिश करूंगा कि वो बच्चों पर प्रेशर न डालें...बच्चों को उनके मन की भी करने दें।'
पीएम मोदी ने कहा, 'चंद्रयान 2 के समय पर आप सब रातभर जाग रहे थे। आपको ऐसा लग रहा था कि आपने ही किया है। जब नहीं हुआ तो पूरा हिंदुस्तान निराश हो गया था। सब रात को जाग रहे थे। कभी-कभी विफलता हमको ऐसा कर देती है। मुझे लोगों ने वहां जाने से मना किया लेकिन मैंने जाने का फैसला किया।' पीएम मोदी ने कहा, 'जब मुझे इसके फेल होने के बारे में पता चला तो मैं सो नहीं पाया। मुझे चैन नहीं आया। मैंने वैज्ञानिकों से मिलने के लिए अपना कार्यक्रम बदला। मैं उनसे मिलना चाहता था। सुबह सभी से मिला और अपने भाव व्यक्त किए। उनकी मेहनत की सराहना की फिर पूरे देश का माहौल बदल गया।'
राजस्थान से आई 10वीं की छात्रा एक यशश्री ने पीएम से पूछा कि परीक्षा से पहले तनाव में आते हैं, कैसे दूर करें? इसका जवाब देते हुए पीएम ने कहा कि 'ज्यादातर खऱाब मूड होने में बाहर की परिस्थिति जिम्मेदार हैं...पीएम ने कहा कि अपेक्षा पूरी ना होने पर मूड ऑफ ना करें।#WATCH PM Modi interacts with students during ‘Pariksha Pe Charcha 2020’ https://t.co/0J7GheSmt5— ANI (@ANI) January 20, 2020
पीएम ने कहा कि 2020 नया साल नहीं नया दशक है। हिन्दुस्तान के लिए यह दशक अहम है। परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम मेरे दिल के सबसे करीब है। पीएम ने कहा कि युवा मन क्या सोचता है, मुझे अंदाजा मिलता है। युवा पीढ़ी से बात करना एक अच्छा अनुभव है। पीएम ने कहा कि माता-पिता का बोझ मुझे भी हल्का करना है।
'परीक्षा पर चर्चा' कार्यक्रम की शुरुआत होने के बाद पीएम अब मंच पर पहुंच चुके हैं। पीएम ने मंच पर आने के बाद छात्रों को नववर्ष की बधाई भी दी। पीएम ने कहा कि इस दशक में 10वीं और 12वीं के छात्रों का अहम योगदान है।
तालकटोरा स्टेडियम में पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने छात्रों द्वारा बनाई गई पेंटिग्स को देखा। छात्रों के पेंटिग्स को देखने के बाद पीएम ने छात्रों की सराहना भी की।
इस कार्यक्रम में काफी संख्या में शिक्षक और अभिभावक हिस्सा लेने पहुंचे हैं। कार्यक्रम स्थल की जो तस्वीरें सामने आई हैं उसमें छात्र बड़ी संख्या में नजर आ रहे हैं।
'परीक्षा पर चर्चा' कार्यक्रम के लिए पीएम मोदी तालकटोरा स्टेडियम पहुंच चुके हैं। पीएम देश भर के छात्रों को परीक्षा के वक्त तनाव को दूर करने का मंत्र देंगे। इसके अलावा पीएम शिक्षकों, अभिभावकों के साथ भी संवाद करेंगे।
पीएम मोदी ने 2018 में आयोजित किए गए कार्यक्रम में छात्रों के 10 सवालों का जवाब दिया था। 2019 में पीएम ने छात्रों के 16 सवालों का जवाब दिया था। 'परीक्षा पे चर्चा' के लिए पिछले साल करीब 1.4 लाख छात्रों की प्रविष्टियां मिली थीं।
कार्यक्रम के मद्देनजर दिल्ली के तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में भारी सुरक्षा बल तैनात है। छात्र, शिक्षक और अभिभावक समारोह स्थल पर पहुंचने लगे हैं। पीएम मोदी के इस कार्यक्रम का मकसद है कि छात्र तनावमुक्त होकर परीक्षाएं दें, जिससे दीर्घकाल में बेहतर परिणाम सुनिश्चित हो सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जरिए परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में इस बार भारतीय छात्रों के अलावा बड़ी संख्या में दुनिया के अलग-अलग देशों में रह रहे छात्र भी जुड़ने जा रहे हैं। परीक्षा पर चर्चा का पहला संस्करण 16 फरवरी, 2018 को आयोजित हुआ था और इसका दूसरा संस्करण 29 जनवरी, 2019 को हुआ था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 'परीक्षा पे चर्चा 2020' कार्यक्रम के दौरान छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत करेंगे। स्कूली छात्रों के साथ प्रधानमंत्री के संवाद कार्यक्रम का यह तीसरा संस्करण है। यह कार्यक्रम दूरदर्शन, MHRD YouTube चैनल, MyGov, और NMo App पर लाइव प्रसारित किया जाएगा।
'परीक्षा पर चर्चा' कार्यक्रम में इस बार खास तौर पर दिव्यांग छात्रों को प्रधानमंत्री से अपने मन की बात कहने व प्रश्न पूछने का अवसर मिलेगा। इस कार्यक्रम मे दिव्यांग छात्रों को उनके घर से लाने और उनके बैठने की खास व्यवस्था की गई है।