Pakistan Family Sharma Identity: बेंगलुरु में पुलिस ने पहचान छिपाकर रह रहे चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि संदिग्ध राशिद अली सिद्दीकी, उसकी पत्नी आयशा और उसके पिता हनीफ मोहम्मद और मां रुबीना राजापुरा गांव में शर्मा परिवार बनकर रह रहे थे। उन्होंने अपना नाम शंकर शर्मा, आशा रानी, राम बाबू शर्मा और रानी शर्मा रखा हुआ था।
पुलिस ने चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर दो पाकिस्तानियों को गिरफ्तार किया था। उनके पकड़े जाने के बाद में इंटेलिजेंस के अधिकारियों से मिली जानकारी के बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। ढाका से चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचे पाकिस्तानी लोगों को इमिग्रेशन अधिकारियों ने फर्जी पासपोर्ट के साथ में पकड़ा था। जांच में पता चला कि वे सिद्दीकी से संबंधित थे।
परिवार के पास भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड मिले
रविवार को सिद्दीकी और उसका पूरा परिवार अपना सामान पैक कर रहा था। उसी समय पुलिस की एक टीम आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए पहुंची। पूछताछ करने के बाद सिद्दीकी ने अपनी शर्मा नाम की पहचान बताई और बताया कि वह साल 2018 से बेंगलुरु में रह रहा है। इतना ही नहीं उसने परिवार के भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड भी दिखाए। इसमें सभी के नाम हिंदू थे। पुलिस उस समय दंग रह गई जब वे घर में घुसी तो दीवार पर मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल जशन-ए-यूनुस लिखा हुआ था। पुलिस टीम को इस्लामिक मौलवियों की फोटो भी मिलीं।
परिवार का पाकिस्तान से कनेक्शन
पुलिस ने जब आरोपी से पूछताछ की तो सिद्दीकी उर्फ शंकर शर्मा ने बताया कि वे पाकिस्तान के कराची के लियाकताबाद से है। उसकी पत्नी और उनका परिवार लाहौर से था। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2011 में एक ऑनलाइन समारोह में आयशा से शादी की थी। वह अपने माता-पिता के साथ बांग्लादेश में थी। हालांकि, अपने देश में धार्मिक नेताओं को सताए जाने के बाद उन्हें पाकिस्तान से बांग्लादेश जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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एफआईआर के मुताबिक, वह बांग्लादेश चले गए और यहां पर एक उपदेशक के तौर पर काम किया और मेहदी फाउंडेशन ने उनके खर्चों को उठाया। लेकिन 2014 में सिद्दीकी पर बांग्लादेश में फिर हमला हुआ और उसने भारत में मेहदी फाउंडेशन के परवेज नाम के शख्स से कॉन्टेक्ट किया। सिद्दीकी अपनी पत्नी, सास-ससुर और रिश्तेदारों जैनबी नूर और मोहम्मद यासीन के साथ एजेंटों के जरिये मालदा के रास्ते बांग्लादेश से भारत आए। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, वह शुरुआत में दिल्ली में रहते थे और शर्मा नाम से फर्जी आधार कार्ड, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस हासिल किया सिद्दीकी दिल्ली में मेहदी फाउंडेशन की तरफ से प्रचार करता था।
2018 में सिद्दीकी ने नेपाल की यात्रा की थी। उसने बेंगलुरु के रहने वाले वसीम और अल्ताफ से मिलने के बाद बेंगलुरु शिफ्ट होने का फैसला किया। उन्होंने उसे उस शहर में प्रचार करने के लिए कहा। अल्ताफ ने किराए का खर्च उठाया और मेहदी फाउंडेशन ने उसे अलरा टीवी पर अपने शो के लिए भुगतान किया। यहां पर उसने इस्लाम का प्रचार किया। सिद्दीकी के ससुराल वालों ने बेंगलुरु में बैंक अकाउंट भी खोले थे। पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 468 और 471 के तहत केस दर्ज किया है।
मेहदी फाउंडेशन क्या है?
मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल यूनुस अलगोहर के विचारों को बढ़ावा देता है। उन्हें आध्यात्मिक गुरु और सूफीवाद का कट्टर प्रचारक माना जाता है। यह संगठन सूफीवाद को बढ़ावा देकर मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में भी लगा हुआ है। हालांकि, पाकिस्तान समेत कई सारे मुस्लिम देशों में मेहदी फाउंडेशन के सदस्यों को धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। अलरा टीवी एक यूट्यूब चैनल सूफीवाद की वकालत करता है।