Amit Shah News: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदुओं को भारतीय धरती पर अधिकार है। उन्होंने शरणार्थियों और घुसपैठियों के बीच अंतर भी बताया। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, दिल्ली में एक कार्यक्रम में शाह ने पूछा, “मैं सभी नागरिकों से पूछना चाहता हूं कि कौन तय करे कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री कौन बनेगा? क्या देश के नागरिकों के अलावा किसी और को यह तय करने का अधिकार होना चाहिए।”
शाह ने कहा कि विभाजन के बाद नेहरू-लियाकत समझौते के तहत पाकिस्तान में हिंदुओं को भारत में शरण देने का वादा किया गया था, लेकिन बाद की सरकारें उस वादे को पूरा करने में विफल रहीं, जिसे मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के माध्यम से पूरा किया। उन्होंने कहा, “इस देश की धरती पर जितना अधिकार मेरा है, उतना ही अधिकार पाकिस्तान-बांग्लादेश के हिंदुओं का भी है। मैं यह बात देश के गृह मंत्री के तौर पर कह रहा हूं।” शाह ने आगे बताया कि शरणार्थी अपने धर्म की रक्षा के लिए भारत आते हैं, जबकि घुसपैठिए आर्थिक कारणों से अवैध रूप से सीमा पार करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ा है और जो आर्थिक या अन्य कारणों से अवैध रूप से आना चाहते हैं, वे घुसपैठिये हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि देश में मुसलमानों की आबादी पाकिस्तान और बांग्लादेश से घुसपैठ के कारण बढ़ रही है। दिल्ली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए शाह ने कहा कि देश में वोट का अधिकार केवल नागरिकों को ही उपलब्ध होना चाहिए। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इन देशों में हिंदू जनसंख्या में गिरावट धर्मांतरण के कारण नहीं है, उनमें से कई ने भारत में शरण ली है।
हिंदू आबादी में आई कमी- अमित शाह
अमित शाह ने कहा, “दूसरी ओर, भारत में मुस्लिम आबादी में बढ़ोतरी प्रजनन दर के कारण नहीं, बल्कि देश में मुस्लिम व्यक्तियों की बड़े पैमाने पर घुसपैठ के कारण है।” शाह ने कहा कि देश में मुस्लिम आबादी 24.6 फीसदी की दर से बढ़ी है, जबकि हिंदू आबादी में 4.5 फीसदी की कमी आई है। उन्होंने कहा, “यह गिरावट प्रजनन दर के कारण नहीं, बल्कि घुसपैठ के कारण है। जब भारत का बंटवारा हुआ, तो धर्म के आधार पर पाकिस्तान बना, जो बाद में बांग्लादेश और पाकिस्तान में विभाजित हो गया। दोनों तरफ से घुसपैठ के कारण ही जनसंख्या में इतना बड़ा बदलाव आया है।”
बीजेपी सरकार ने तीन सिद्दांत अपनाए- अमित शाह
गृह मंत्री ने कहा कि 1951 से 2011 तक की जनगणना में सभी धर्मों की जनसंख्या की बढ़ोतरी में जो असमानता देखी गई है, वह घुसपैठ के कारण है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने 1951 से “पता लगाओ, हटाओ और निर्वासित करो” के तीन सिद्धांतों को अपनाया है। उन्होंने कहा, “सरकार घुसपैठियों की पहचान करेगी, यह सुनिश्चित करने का हर संभव प्रयास करेगी कि उनके नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए जाएं और उसके बाद उन्हें उनके देशों में डिपोर्ट करने का काम करेगी। वोट का अधिकार केवल इस देश के नागरिकों को ही दिया जाना चाहिए।”
शाह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम और एसआईआर का भी बचाव किया। उन्होंने कहा, “सीएए किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है, बल्कि नागरिकता देने के लिए बनाया गया एक कार्यक्रम है। इस अधिनियम में हिंदुओं, मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों या किसी भी अन्य समुदाय की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। इसका एकमात्र उद्देश्य शरणार्थियों को नागरिकता देना है।”
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एसआईआर कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं- गृह मंत्री
गृह मंत्री ने कहा कि एसआईआर कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय मुद्दा है और कहा कि कुछ राजनीतिक दल घुसपैठियों को देश के लिए खतरा नहीं बल्कि वोट बैंक मानते हैं। उन्होंने पूछा कि अगर कोई व्यक्ति अवैध रूप से देश में एंट्री करता है और जिला प्रशासन उसकी पहचान करने में विफल रहता है तो घुसपैठ कैसे रोकी जा सकती है। उन्होंने कहा कि गुजरात और राजस्थान की भी सीमाएं लगती हैं, लेकिन वहां कोई घुसपैठ नहीं होती।
एसआईआर का संचालन चुनाव आयोग की जिम्मेदारी- अमित शाह
शाह ने कहा, “एसआईआर का संचालन चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। संविधान, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग को सौंपता है, जो तभी संभव है जब वोटर लिस्ट वोटर की परिभाषा के अनुसार तैयार की जाए। जब घुसपैठियों को हमारी वोटर लिस्ट में शामिल किया जाता है, तो वे देश की राजनीतिक निर्णय प्रक्रिया में भागीदार बन जाते हैं। जब मतदान का आधार राष्ट्रहित नहीं होता, तो लोकतंत्र कभी सफल नहीं हो सकता।”