Shaurya Diwas: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार (27 अक्टूबर) को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लोगों के खिलाफ अत्याचार करने के लिए इस्लामाबाद की आलोचना की। रक्षा मंत्री ने कहा कि देश को इसके परिणाम भुगतने होंगे। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में इन्फैंट्री डे समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “मैं पाकिस्तान से पूछना चाहता हूं कि उसने हमारे क्षेत्रों के लोगों को कितने अधिकार दिए हैं, जिन पर उसने अनधिकृत कब्जा कर लिया है? इन क्षेत्रों में होने वाली अमानवीय घटनाओं के लिए पाकिस्तान पूरी तरह जिम्मेदार है। आज पीओके में अत्याचार के बीज बो रहे पाकिस्तान को आने वाले समय में कांटों का सामना करना पड़ेगा।”

रक्षा मंत्री ने इस दौरान देश के तथाकथित बुद्धिजीवियों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा सेना या राज्य सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ की गई कार्रवाई में मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाई है। उन्होंने मानवाधिकार संगठनों से पूछा उनकी चिंता तब कहां चली जाती है जब हमारी सेना और आम जनता पर आतंकी हमला करते हैं। उन्होंने पूछा, “आतंकी जब बेरहमी के साथ देश के जवानों और नागरिकों से पेश आते हैं तब आप कहां होते हैं?”

आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होताः राजनाथ सिंह

इस बात पर जोर देते हुए कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, राजनाथ सिंह ने कहा, “आतंकवाद का तांडव जो इस राज्य ने कश्मीरियत के नाम पर देखा है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है। अनगिनत जानें चली गईं और अनगिनत घर तबाह हो गए। धर्म के नाम पर कितना खून बहा, इसका कोई हिसाब नहीं है। कई लोगों ने आतंकवाद को धर्म से जोड़ने का प्रयास किया है, लेकिन क्या आतंकवाद के शिकार किसी एक धर्म तक ही सीमित हैं? सामने हिन्दू है या मुसलमान यह देखकर आतंकवादी हरकत करता है? आतंकवादी केवल भारत को निशाना बनाकर अपनी योजनाओं को अंजाम देना जानते हैं।

सियासी अंधेरे में छुप गया था धरती का स्वर्ग

रक्षा मंत्री ने जम्मू-कश्मीर को लंबे समय तक अंधेरे में रखने के लिए ‘स्वार्थी राजनीति’ को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “आजादी के बाद से यह क्षेत्र जिसे धरती पर स्वर्ग कहा जाता है कुछ स्वार्थी राजनीतिज्ञों के आगे झुक गया है और एक सामान्य जीवन जीने के लिए तरस रहा है।” उन्होंने कहा, ‘आजादी के बाद कुछ स्वार्थी तत्वों ने कश्मीरी समाज को कई हिस्सों में बांट दिया था। कश्मीरियत भूलकर कश्मीरी समाज हिंदू, मुस्लिम, राजपूत और सिख में बंट गया…

अभिन्न अंग होने के बावजूद हुआ भेदभाव

देश का अभिन्न अंग होने के बाद भी जम्मू-कश्मीर के साथ भेदभाव किया जा रहा था। एक ही देश में ‘दो विधान, दो निशान और दो शीर्ष’ काम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि “जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ भेदभाव पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में समाप्त हुआ”। इस दौरान राजनाथ सिंह ने उन जवानों को श्रद्धांजलि भी दी जिन्होंने अपना जीवन देश के लिए कुर्बान कर दिया।