पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति से दुनिया वाकिफ है, लेकिन भारत में यदि अल्पसंख्यकों से जुड़ी कोई घटना घटती है या फिर बयानबाजी होती है, तो उसमें पाकिस्तान की तरफ से बयान ना आए, ऐसा बहुत ही कम होता है। देश में इन दिनों फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के बयान पर खूब चर्चाएं हो रही हैं। अब इसमें पाकिस्तानी पीएम इमरान खान भी शामिल हो गया है। हालांकि नसीरुद्दीन शाह ने ही पाकिस्तानी पीएम की बोलती बंद कर दी है और उन्हें अपना देश संभालने की नसीहद दे डाली है। दरअसल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में लाहौर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए नसीरुद्दीन शाह के बयान और मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा कही गई बात की तुलना की थी।

बता दें कि नसीरुद्दीन शाह ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि भारत में निरंकुश भीड़ का कानून अपने हाथ में ले लेने से उन्हें अपने बच्चों के लिए डर लगता है। शाह के इस बयान पर इमरान खान ने कहा कि “मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि वह भारत में नहीं रहना चाहते, क्योंकि वहां मुस्लिमों को बराबरी का दर्जा नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही इमरान खान ने अपने देश में अल्पसंख्यकों को बराबरी का हक देने की वकालत की। इमरान खान ने कहा कि हमें पाकिस्तान में ये बात साबित करनी है कि यहां सभी अल्पसंख्यकों को बराबरी का हक मिले….नरेंद्र मोदी के भारत को हमें ये दिखाना है कि हम अल्पसंख्यकों के साथ कैसा बर्ताव करते हैं।”

हालांकि पाकिस्तानी पीएम इमरान खान के बयान पर नसीरुद्दीन शाह ने करार जवाब दिया है। द संडे एक्सप्रेस से बात करते हुए नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि “मुझे लगता है कि मिस्टर खान को अपने देश में चल रहे मुद्दों पर बात करनी चाहिए, ना कि उन मुद्दों पर जिनका उनसे कोई वास्ता नहीं है। हम 70 सालों से लोकतांत्रिक हैं और हमें पता है कि हमें अपना ध्यान कैसे रखना है।” बता दें कि एक इंटरव्यू के दौरान नसीरुद्दीन शाह ने कहा था कि “देश में एक गाय की मौत एक पुलिस अफसर की मौत से ज्यादा अहम हो गई है। मुझे डर लगता है कि कल को कोई भीड़ उनके बच्चों को घेर लेगी और उनसे पूछेगी कि तुम एक हिंदू हो या मुसलमान? लेकिन इसका उनके पास कोई जवाब नहीं होगा। और फिलहाल उन्हें यह स्थिति जल्द सुधरती दिखाई नहीं दे रही है।” नसीरुद्दीन शाह ने ये बात बुलंदशहर में गोहत्या के बाद भड़की हिंसा के संदर्भ में कही थी। जिसके बाद कई दक्षिणपंथी संगठनों ने उनकी आलोचना भी की है। शुक्रवार को अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल में नसीरुद्दीन शाह को शामिल होना था। लेकिन भाजपा युवा मोर्चा के सदस्यों द्वारा इसके खिलाफ आयोजन स्थल पर पहुंचकर हंगामा किया गया, जिसके बाद नसीरुद्दीन शाह के कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा था।