भारत-India पर छिड़े विवाद के बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने याद दिलाया कि पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने ‘इंडिया’ नाम पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि इंडिया नाम रखने का तात्पर्य यह था कि भारत ब्रिटिश राज का उत्तराधिकारी राज्य था और पाकिस्तान एक अलग राज्य था।

‘प्रेजीडेंट ऑफ भारत’ के नाम पर G20 रात्रिभोज का निमंत्रण भेजे जाने के बाद से देश के नाम को लेकर बहस छिड़ गई है। आधिकारिक रूप से इंडिया के स्थान पर भारत का इस्तेमाल करने के फैसले पर कुछ आलोचकों ने यह तर्क देने की कोशिश की है कि इंडिया शब्द का विरोध वास्तव में एक पाकिस्तानपरस्त विचार है।

जिन्ना नहीं चाहते थे भारत ‘इंडिया’ नाम अपनाए

पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना हमेशा चाहते थे कि नए मुस्लिम देश को पाकिस्तान (शुद्ध भूमि) कहा जाए। भले ही पाकिस्तान मूल भारत से अलग होकर बनाया जाएगा, लेकिन वह नहीं चाहते थे कि नए देश के नाम का ‘भारत’ से कोई लेना-देना हो। इतिहासकार जॉन केय ने इंडिया: ए हिस्ट्री (हार्पर प्रेस, 2000) में लिखा है, “इंडिया शब्द को लेकर कोई झगड़ा नहीं हुआ है क्योंकि जिन्ना ने नए गढ़े गए और बहुत ही इस्लामिक-लगने वाले संक्षिप्त नाम पाकिस्तान को प्राथमिकता दी थी।”

जॉन केन ने लिखा, “जिन्ना की धारणा थी कि कोई भी देश (भारत या पाकिस्तान) ब्रिटिश टाइटल ‘इंडिया’ को अपनाना नहीं चाहेगा। उन्हें अपनी गलती का पता तब चला जब अंतिम ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू की यह मांग मान ली थी कि उनका राज्य ‘इंडिया’ ही रहेगा। माउंटबेटन के अनुसार, जब जिन्ना को पता चला तो वह काफी गुस्सा हो गए।”

जिन्ना ने शिकायत की थी कि ‘इंडिया’ नाम भ्रामक है

SOAS में दक्षिण एशियाई कानून के प्रोफेसर मार्टिन लाउ ने अपने पेपर ‘इस्लाम और पाकिस्तान की संवैधानिक नींव’ में, जिन्ना द्वारा भारत के पहले गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन को लिखे गए एक पत्र का हवाला दिया। जिसमें जिन्ना ने शिकायत की थी कि ‘इंडिया’ नाम भ्रामक है। जिन्ना इस बात से कभी खुश नहीं थे कि विभाजन कैसे हुआ। मुस्लिम लीग के दावों के बावजूद, पाकिस्तान को अपेक्षा से बहुत कम ज़मीन मिली। जिन्ना के लिए पाकिस्तान के भारत के अधीन हो जाने का वास्तविक ख़तरा था। ‘इंडिया’ शब्द पर उनके विचार उन्हीं आशंकाओं से उपजे थे।

जिन्ना चाहते थे कि भारत विभाजन के लिए धार्मिक आधारों को स्पष्ट करने के लिए ‘हिंदुस्तान’ नाम ले और परिणामस्वरूप, नया राष्ट्र बने। लेकिन जैसा कि लाउ एक फुटनोट में कहते हैं, “भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के प्रावधानों ने पाकिस्तान को इस्लामिक राज्य नहीं बनाया और न ही 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ने भारत को हिंदू राज बनाया।”

भारत को हिंदुस्तान (हिंदुओं की भूमि) नहीं कहा जाता, इस बात पर जिन्ना की झुंझलाहट माउंटबेटन के साथ पत्रों के आदान-प्रदान में दिखाई देने लगी थी। सितंबर 1947 में, माउंटबेटन ने जिन्ना को लंदन में भारतीय कला की एक प्रदर्शनी का अध्यक्ष बनने के लिए आमंत्रित किया। उनके अनुसार, “जिन्ना ने ‘इंडिया’ नाम के इस्तेमाल के कारण निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने माउंटबेटन को लिखा कि, “यह अफसोस की बात है कि कुछ रहस्यमय कारणों से हिंदुस्तान ने ‘इंडिया‘ शब्द को अपना लिया है जो निश्चित रूप से भ्रम पैदा करने वाला है।

(Story by Arjun Sengupta)