Pakistan Claims Indian: पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने सोमवार को आमिर सरफराज उर्फ तांबा की हत्या में भारत का हाथ होने की संभावना जताई है। नकवी ने कहा कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि तांबा की हत्या में भारत शामिल होगा। उन्होंने दावा किया कि इससे पहले यहां हुई हत्या की घटनाओं में भारत सीधे तौर पर शामिल था।
मोहसिन नकवी ने कहा कि पुलिस इस मामले की (तांबा) की जांच कर रही है और इस स्तर पर मामले में भारत की संलिप्तता के बारे में कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि, उन्होंने तांबा मर्डर में भारत की संलिप्तता का संदेह जताया है। उन्होंने पूर्व की हत्याओं का उदाहरण देते हुए कहा कि इसका एक समान पैटर्न है। हालांकि, पाकिस्तान के मंत्री के आरोप पर अभी तक भारत सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
रविवार दोपहर पुराने लाहौर के घनी आबादी वाले इलाके सनंत नगर में दो बंदूकधारियों ने तांबा की उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी थी। तांबा के खून से लथपथ शव की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। पुलिस ने तांबा के छोटे भाई जुनैद सरफराज की शिकायत पर दो अज्ञात हमलावरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
पाकिस्तान पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, जुनैद सरफराज ने कहा कि वह और उनके बड़े भाई अमीर सरफराज तांबा, जो लगभग 40 वर्ष के थे, घटना के समय सनंत नगर स्थित अपने घर पर मौजूद थे। तांबा और उसके साथी मुदस्सर – मौत की सजा पाए दो पाकिस्तानी कैदियों – ने 2013 में लाहौर की कोट लखपत जेल में 49 वर्षीय सरबजीत सिंह पर हमला किया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी।
पाकिस्तान के लाहौर में तांबा की मौत के बाद उसके सहयोगियों और लश्कर आतंकियों में डर का माहौल है। बताया जाता है कि दो हमलावर बाइक पर सवार होकर तांबा के आवास पर पहुंचे। उन्होंने उसके घर की घंटी बजाई।तांबा ने खुद ही दरवाजा खोला और उसके दरवाजा खोलते ही हमलावरों ने उसपर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। उसे तीन गोलियां लगी थी और उसके करीबी लोग कहते हैं कि मौके पर उसने दम तोड़ दिया था।
कौन था अमीर सरफराज तांबा?
सूत्रों ने बताया कि ‘लाहौर का असली डॉन’ के नाम से कुख्यात अमीर सरफराज तांबा ‘ट्रकवाला गिरोह’ का हिस्सा था। वह मादक पदार्थों की तस्करी में लगा हुआ था। हाल ही में वह गिरोह के एक सदस्य अमीर बलाज टीपू के साथ हुई झड़प में शामिल था।
जासूसी के झूठे आरोप में पकड़े गए थे सरबजीत
जासूसी के झूठे आरोप में पाकिस्तान ने सरबजीत सिंह को पकड़ लिया था। हालांकि, उस वक्त सरबजीत सिंह ने तर्क दिया था कि वह गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गए थे, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। इसके बाद उन्हें साल 1991 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाके के मुख्य आरोपी बताकर मौत की सजा सुनाई गई। इसके बाद पाकिस्तान खुफिया एजेंसी ने ISI के कहने पर साल 2013 में उनकी हत्या कर दी गई।
तांबा और मुदस्सर पर चला था सरबजीत की हत्या का मामला
दिसबर, 2018 में एक पाकिस्तानी कोर्ट ने सरबजीत सिंह की हत्या के मामले में दो प्रमुख संदिग्धों अमीर सरफराज उर्फ तांबा और मुदस्सर को उनके खिलाफ सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया। सभी गवाहों के मुकर जाने के बाद लाहौर सेशन कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। एक अधिकारी ने कहा था कि कोर्ट में दोनों संदिग्धों के खिलाफ एक भी गवाह ने गवाही नहीं दी थी।