कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अमेरिकी टैरिफ नीति पर सरकार से स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका अलग-अलग देशों पर मनमाने टैरिफ लगाना शुरू कर देता है, तो भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। चिदंबरम ने कहा कि अगर भारत इस स्थिति का सही जवाब नहीं देता, तो तीन से छह महीने के भीतर हमारी अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में आ सकती है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक चिदंबरम ने सरकार पर आरोप लगाया कि इतनी बड़ी वैश्विक आर्थिक चुनौती के बावजूद न तो संसद में चर्चा की गई और न ही विपक्षी दलों से कोई परामर्श किया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भारत के पास अमेरिका की नीतियों का सामना करने की कोई ठोस रणनीति है? अगर अमेरिका एक कदम आगे बढ़ता है या दो कदम पीछे हटता है, तो भारत की नीति क्या होगी? उन्होंने जोर देकर कहा कि भले ही इन योजनाओं को सार्वजनिक न किया जाए, लेकिन कम से कम संसद और विपक्ष को विश्वास में लिया जाना चाहिए।

अमेरिकी टैरिफ और भारतीय उद्योग पर असर

अमेरिका ने 2 अप्रैल से सभी ऑटोमोबाइल और कार पार्ट्स के आयात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे भारत से अमेरिका को होने वाले लगभग 7 अरब डॉलर के निर्यात पर खतरा मंडराने लगा है। भले ही भारत अमेरिका को कारों का बड़ा निर्यातक नहीं है, लेकिन टाटा मोटर्स की सहायक कंपनी जगुआर लैंड रोवर (JLR) वहां के बाजार में मजबूती से स्थापित है। भारतीय ऑटो कंपोनेंट कंपनियों को सबसे ज्यादा झटका लग सकता है क्योंकि वे बड़ी मात्रा में अमेरिका को पार्ट्स निर्यात करती हैं। भारत के ऑटो कंपोनेंट उद्योग का लगभग 20% राजस्व निर्यात से आता है, जिसमें 27% अकेले अमेरिका को जाता है।

सरकार पर लगाया बिना सोचे-समझे फैसले लेने का आरोप

चिदंबरम ने सरकार पर बिना सोचे-समझे फैसले लेने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बजट में 2% टैक्स हटाने की घोषणा की गई, फिर वित्त मंत्री ने 6% डिजिटल सेवा कर (जिसे ‘गूगल टैक्स’ कहा जाता है) खत्म करने का फैसला किया। उन्होंने सवाल किया कि आखिर सरकार अमेरिका को और क्या रियायतें देने जा रही है?

पूर्व वित्त मंत्री ने आशंका जताई कि सरकार के ज्यादातर मंत्री भी इस मुद्दे पर अंधेरे में हैं। उन्होंने कहा कि शायद केवल विदेश मंत्री और वाणिज्य मंत्री, जो अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत कर रहे हैं, ही जानते हैं कि क्या हो रहा है। लेकिन क्या कृषि मंत्री, उद्योग मंत्री या अन्य संबंधित विभाग इस बारे में कुछ जानते हैं? अगर भारत चुपचाप अमेरिका के सामने झुकता रहा, तो इससे हमारी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा।

डोनाल्ड ट्रंप ने फोड़ा एक और ‘टैरिफ बम’, अमेरिका में कारों पर लगेगी 25 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी

चिदंबरम का मानना है कि भारत को वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को उन देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिए, जो अमेरिका के टैरिफ से प्रभावित हो सकते हैं, जैसे कि कनाडा, यूरोपीय देश, तेल उत्पादक देश और प्रमुख कृषि निर्यातक देश।

उन्होंने आशंका जताई कि अगर अमेरिका भारत को अलग से निशाना बनाता है और अन्य देशों को छोड़ देता है, तो भारत की अर्थव्यवस्था तगड़ा झटका खा सकती है। अगर भारत ने अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो अमेरिका हमें एक कमजोर लक्ष्य समझेगा और और अधिक सख्त शर्तें थोप सकता है।

पी. चिदंबरम ने साफ किया कि अमेरिका की मनमानी टैरिफ नीति से भारत को बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है। ऐसे में सरकार को न केवल विपक्ष और संसद को विश्वास में लेना चाहिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अन्य देशों के साथ मिलकर एक साझा रणनीति बनानी होगी, ताकि भारत की अर्थव्यवस्था को बचाया जा सके।