बिहार की राजधानी पटना में कल यानी 23 जून को विपक्षी दलों की एक अहम बैठक होनी है। बैठक से पहले तमाम तरह की तैयारियां पूरी हैं। इस बैठक में कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक कई विपक्षी दल शामिल होने वाले हैं। विपक्षी नेता एक दिन पहले ही पटना पहुंचने भी लगे हैं।

 कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ़्ती भी पटना पहुंच गई हैं।  बिहार सरकार में मंत्री शीला मंडल ने उनका एयरपोर्ट पर स्वागत किया और वह अब स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच रही हैं। 

भाजपा के सियासी हमलों के बीच क्या है नीतीश कुमार की तैयारी

जब 23 जून को बिहार की राजधानी में कई विपक्षी सियासी दल जुड़ेंगे तो इसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए एक तरह की नैतिक जीत माना जाएगा। वह एनडीए को छोड़कर बिहार में ग्रैंड अलायंस सरकार बनाने के बाद से बड़ी तादाद  में गैर-भाजपा दलों को एक साथ लाने के अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। पिछले साल अगस्त में विपक्षी नेताओं को एक साथ लाने में दिग्गज नेता लालू प्रसाद की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 

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लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ एक विपक्ष करने की कोशिश में लगे नीतीश कुमार की यह सोच काल्पनिक लग सकती है लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को चर्चा के मंच पर लाना एक बड़ी बात भी है और एक बड़ा संकेत भी। 

माना जा रहा है कि इस बैठक में कई बड़े फैसले होने वाले हैं। नीतीश कुमार कांग्रेस और क्षेत्रियों दलों को एक मंच पर ले तो आए हैं लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में कांग्रेस क्षेत्रियों दलों के लिए अपना कदम पीछे हटा लेगी ये कहना अभी बहुत आसान नहीं लगता है। 
नीतीश कुमार के इस कदम पर भाजपा की काफी पैनी नज़र है। इस दौरान विपक्ष की बैठक पर यूपी के डिप्टी सीएम ने हमला बोलते हुए कहा है कि यह जमावड़ा पूरी तरह से फ्लॉप शो साबित होगा